
दिमागी शांति वास्तव में जीवन की सबसे बड़ी दौलत – वरिष्ठ समाजसेवी मुशरफ खान
दिमागी शांति के बिना सभी भौतिक सुखों का कोई मूल्य नहीं – वरिष्ठ समाजसेवी मुशरफ खान
जब हम अपने अंदर संतोष और संतुलन पाते हैं, तभी असली खुशी का अनुभव करते हैं – वरिष्ठ समाजसेवी मुशरफ खान
आगरा/चंडीगढ़/संघोल-टाइम्स/संजय साग़र सिंह – दिमागी शांति वास्तव में जीवन की सबसे बड़ी दौलत है। जब हम अपने अंदर संतोष और संतुलन पाते हैं, तभी असली खुशी का अनुभव करते हैं। भौतिक संपत्ति निश्चित रूप से सुख का अनुभव करवा सकती है, लेकिन यह स्थायी नहीं होती। मानसिक शांति का अनुभव केवल आंतरिक संतुलन से संभव है।
इस सन्दर्भ में वरिष्ठ समाजसेवी मुशरफ खान ने महत्वपूर्ण विचार व्यक्त करते हुए कहा,- दिमागी शांति दुनिया की सबसे बड़ी दौलत है। हम दिन की शुरुआत करते हैं, तब लगता है कि पैसा ही जीवन है, लेकिन जब शाम को पर लौटते हैं, तब लगता है शांति ही जीवन है। हर परिस्थिति में शांत बने रहना जीवन की मजबूती है, वहीं, सारी सुख सुविधा हो, लेकिन शाति न हो तो समझना चाहिए कि सुविधा को गलती से सुख समझा जा रहा है।जीवन में जब हम अपने मूल्यों और प्राथमिकताओं को समझते हैं, तो वही हमें असली सुख और संतोष की ओर ले जाता है।
उन्होंने कहा,- हम सभी जीवन में विभिन्न परिस्थितियों का सामना करते हैं। अतीत की यादें, वर्तमान की चुनौतियां, और भविष्य की चिंताएं हमें चिंतित कर सकती हैं। लेकिन, जो लोग अपने कार्यों के प्रति जिम्मेदार होते हैं और अपनी सोच को सकारात्मक रखते हैं, वे ही जीवन की कठिनाइयों को सहजता से पार कर पाते हैं। मन की शांति केवल बाहरी परिस्थितियों को ठीक करने में नहीं, बल्कि अपने भीतर क्या चल रहा है, यह समझने में भी है। सुख और दुख जीवन के अभिन्न अंग हैं। जब हम इन्हें स्वीकार करते हैं, तब हम अपने कर्मों के प्रति सचेत रह सकते हैं और उनके फल भी सकारात्मक होते हैं।
श्री खान ने आगे कहा,- शांति की चाहत रखने वालों को अपनी आदतों पर नियंत्रण रखना होगा। बीते कल का अफसोस और आने वाले कल की चिंता हमें वर्तमान में जीने से रोकती हैं। इसलिए, अपने मन को शांत रखना और उसे सही दिशा में लगाना आवश्यक है। अंत में, दिमागी शांति के बिना सभी भौतिक सुखों का कोई मूल्य नहीं। जीवन में असली खुशी और संतोष तभी मिलते हैं जब हम आंतरिक शांति को प्राथमिकता देते हैं।