
संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर नेता विपक्ष और पार्टी अध्यक्ष के नेतृत्व में कांग्रेसी सांसदों की बहस – राजीव शर्मा
Chandigarh/SANGHOL-TIMES/KEWAL-BHARTI/13SEP.,2025 – जब नेता विपक्ष श्री राहुल गांधी ने ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान संसद में गरजते हुए कहा कि मोदी सरकार में पाकिस्तान को कड़ा सबक सिखाने की कोई राजनीतिक इच्छाशक्ति ही नहीं है, तो सभी भाजपा सांसद इस कड़वी सच्चाई को सुन कर अवाक रह गए। इसके बाद तो नेता विपक्ष ने प्रधानमंत्री और भाजपा के राजनीतिक नेतृत्व के कायरतापूर्ण सरैंडर को परत दर परत देश की जनता के सामने उजागर कर दिया।
वास्तव में, ऑप्रेशन सिन्दूर पर बहस के दौरान सभी कांग्रेसी सांसदों के भाषण जानदार थे, लेकिन खरगे जी, राहुल जी और प्रियंका जी के भाषणों का अलग से विशेष उल्लेख करना तो बनता है।
लोकसभा में अपने भाषण के दौरान, श्री राहुल गांधी ने ज़ोर देकर कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मोदी सरकार ने हमारे सशस्त्र बलों पर कुछ प्रतिबंध लगाए और उन्हें युद्ध क्षेत्र में हालात के मुताबिक कार्रवाई करने की स्वतंत्रता से वंचित रखा। इसका मतलब हुआ कि सरकार ने हमारे सशस्त्र बलों के पांव में प्रतिबंधों की बेड़ियां लगाकर उन्हें युद्ध के मैदान में भेजा। सरकार के इस कायरतापूर्ण रवैये के कारण सुरक्षा बलों को नुकसान भी उठाना पड़ा।
अपनी बात को पुष्ट करने के लिए, श्री राहुल गांधी ने भारतीय सशस्त्र बलों के एक सेवारत अधिकारी, कैप्टन शिव कुमार, जो इंडोनेशिया में भारत के रक्षा अताशे हैं, के बयान का हवाला दिया। कैप्टन शिव कुमार ने कहा था कि भारत ने कुछ विमान खो दिए हैं और ऐसा केवल इसलिए हुआ क्योंकि राजनीतिक नेतृत्व ने भारतीय सेना को (पाकिस्तान के) वायु रक्षा और सैन्य ठिकानों पर हमला न करने के लिए कहा था।
श्री राहुल गांधी सरकार के राजनीतिक नेतृत्व की इस कायरता से बेहद व्यथित थे। उन्होंने कहा, “अगर आप लड़ना ही चाहते हैं, तो पूरी ताकत से लड़ें और उन्हें हमेशा हमेशा के लिए हरा दें। हम ऐसा प्रधानमंत्री बर्दाश्त नहीं कर सकते जिसमें सेना को उस तरह से निर्देश देने का साहस न हो जैसे कि दिए जाने चाहिए। हमें एक ऐसा प्रधानमंत्री चाहिए जो सेना, वायुसेना को स्वतंत्र तरीके से अपना काम करने दे, जैसा कि इन्दिरा गांधी ने किया था।”
श्री राहुल गांधी ने सुरक्षा बलों के साहस, वीरता और मातृभूमि के लिए सब कुछ न्यौछावर करने के उनके पवित्र जज़्बे की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि सरकारी स्तर पर बड़ी कमज़ोरियों के बावजूद उन्होंने भारत को शानदार विजय दिलाई।
जब केंद्रीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर की तुलना 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम से करने की कोशिश की, तो श्री राहुल गांधी ने पलटवार करते हुए कहा, “1971 में सरकार में राजनीतिक इच्छाशक्ति थी। अमेरिका का सातवाँ बेड़ा भारत की ओर बढ़ रहा था, और तब के प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हम तो वही करेंगे जो हम करना चाहते हैं। महाशक्ति भारत की ओर बढ रही थी, लेकिन प्रधानमंत्री (इंदिरा गांधी) ने कहा, ‘हमें किसी की परवाह नहीं है।’ उन्होंने कहा कि इसके विपरीत, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, सैन्य कार्यवाई शुरू होने के मात्र 30 मिनट बाद ही भारतीय सेना को पाकिस्तान के साथ युद्धविराम करने का निर्देश दे दिया गया था।” उन्होंने सदन में सरकार के अपने बयानों को उद्धरित करते हुए कहा कि ऑपरेशन सिन्दूर 07 मई की सुबह 1.05 बजे शुरू हुआ और भारत सरकार ने 01.35 बजे पाकिस्तान से सम्पर्क करके उसे बताया कि भारतीय सेना पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों पर हमला नहीं करेगी क्योंकि वे पाकिस्तान के साथ किसी किस्म का तनाव बढ़ाना नहीं चाहते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा करके, भारत सरकार ने पाकिस्तान को यह स्पष्ट संदेश दिया कि भारत सरकार में कोई राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं है और वह (पाकिस्तान के साथ) आगे कोई युद्ध नहीं करना चाहते हैं।
इससे पहले बहस में भाग लेते हुए कांग्रेस पार्टी के कई सांसदों ने सरकार के मूक सरैंडर और उसके ख़ुफ़िया तंत्र की घोर विफलता के लिए कड़ी आलोचना की, जिसके चलते पहलगाम जैसी त्रासदी हुई। उन्होंने इस लोकप्रिय पिकनिक स्थल पर सुरक्षा की कमी और आतंकवादियों को ऐसे क्षेत्र से, जहां सैन्य-बलों का भारी जमावड़ा है, आराम से, बिना रोक-टोक निकल भागने की छूट देने की भी आलोचना की। सांसदों ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि पहलगाम की घटना से पता चलता है कि प्रधानमंत्री कश्मीर के हालात के बारे में लगातार झूठ बोल रहे थे, जिससे प्रधानमंत्री की अपनी छवि भी धूमिल हो चुकी है।
श्री राहुल गांधी ने अपने भाषण के दौरान पहलगाम में मारे गए बेकसूर भारतीयों को भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के हाथ उनके खून से रंगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि (ऑपरेशन सिंदूर) की यह पूरी कवायद सिर्फ़ प्रधानमंत्री की छवि बचाने के लिए की गई थी। उन्होंने प्रधानमंत्री को सलाह दी कि मोदी जी आप में इतनी विनम्रता और गरिमा होनी चाहिए जिससे आपको यह समझ आ सके कि यह देश आपकी छवि, आपकी राजनीति और आपके प्रचार प्रसार के तंत्र से कहीं ऊपर है।”
श्री राहुल गांधी, अमेरिका के राष्ट्रपति श्री डोनाल्ड ट्रम्प की मध्यस्थता मे कराए युद्धविराम के कई दावों पर प्रधानमंत्री की कायरतापूर्ण चुप्पी से भी दुखी थे। ज़मीनी हकीक़त यह है कि श्री डोनाल्ड ट्रम्प ने ही 10 मई 2025 को दोपहर बाद 3.33 बजे अपने ट्विटर हैंडल पर पहली बार युद्धविराम की घोषणा की थी। भारत ने इसे लगभग डेढ़ घंटे बाद लागू किया। लेकिन सीमावर्ती इलाकों से मिली खबरों और मीडिया चैनलों पर लाइव चर्चाओं से पता चलता है कि पाकिस्तान उस दिन रात 10.30 बजे तक भारतीय क्षेत्र में अपने ड्रोनों से हमला करता रहा, जबकि भारत ने ट्रम्प की घोषणा के कुछ देर बाद शाम 5.30 बजे अपनी सैन्य कार्रवाई रोक दी थी। श्री राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री को श्री डोनाल्ड ट्रम्प को यह कहना चाहिए कि वह युद्धविराम के सवाल पर झूठ बोल रहे हैं। श्री गांधी ने यह भी कहा कि अगर श्री मोदी में इंदिरा गांधी का 50% साहस होता, तो वह कहते ‘डोनाल्ड ट्रम्प, आप झूठे हैं’ और ‘हमने कोई विमान नहीं खोया है।’ लेकिन न तो मोदी जी ने ट्रम्प का नाम लिया और न ही यह घोषणा की कि भारत ने कोई विमान नहीं खोया है।
श्री गांधी भारत की लचर विदेश नीति से भी नाराज़ थे। उन्होंने सरकार से पूछा कि दुनिया के किसी भी देश ने पहलगाम हमले के लिए पाकिस्तान की निंदा क्यों नहीं की। श्री गांधी ने उप-सेना प्रमुख राहुल सिंह के बयान का भी हवाला दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन ने पाकिस्तान को हर संभव मदद दी थी। उन्होंने आरोप लगाया कि जब 7 मई 2025 को भारतीय सेना ने कुछ पाकिस्तानी ठिकानों पर हमला किया, तो भारत सरकार को यह जानकारी तक भी नहीं थी कि चीन पाकिस्तान के साथ खड़ा है। श्री गांधी ने यह स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री मोदी की विदेश नीति की सबसे बड़ी भूलों में से एक यह है कि उन्होंने चीन और पाकिस्तान को भारत के खिलाफ एकजुट होने का खुला अवसर दिया।
कांग्रेस अध्यक्ष श्री मल्लिकार्जुन खरगे ने भी राज्यसभा में एक जबरदस्त भाषण दिया, जिसे सुन कर भाजपा अध्यक्ष श्री जे.पी. नड्डा अपना संतुलन खो बैठे और उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ कुछ असंसदीय टिप्पणियाँ कर दी। बाद में, इन्डिया ब्लॉक के सांसदों ने प्रोटेस्ट करके नड्डा को अपनी अनुचित टिप्पणी के लिए माफ़ी मांगने के लिए मजबूर कर दिया।
श्री खरगे ने कहा कि कश्मीर में खुफिया तंत्र की कई गम्भीर विफलताएँ हुई हैं। सरकार को 2016 में उरी और पठानकोट हमलों, 2019 में पुलवामा हमले और अब पहलगाम हमले सहित अतीत में हुए दूसरे आतंकी हमलों की याद दिलाते हुए, श्री खरगे ने केंद्रीय गृह मंत्री से पूछा कि इतने सारे हमलों के लिए कौन जिम्मेदार है और अब तक किसी की जवाबदेही क्यों नहीं तय की गई है? उन्होंने बताया कि मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से, केवल एक शहर पहलगाम में पाँच आतंकी हमले हो चुके हैं। उन्होंने हर मोर्चे पर विफ़ल रहने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग की।
बाद में, लोकसभा में, श्रीमति प्रियंका वाड्रा ने देश की स्वतंत्रता, एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए भारत की सुरक्षा और सशस्त्र बलों की प्रशंसा करते हुए अपने गंभीर लेकिन अन्दर तक हिला देने वाले भाषण की शुरुआत की। उन्होंने मोदी सरकार की बेसिरपैर की और तर्कहीन कश्मीर नीति की पोल खोलते हुए कहा कि पिछले पाँच वर्षों में सिर्फ़ एक आतंकवादी समूह ने कश्मीर में 25 बड़े आतंकवादी हमले किए हैं। पहलगाम और अन्य हमलों के लिए सीधे तौर पर केंद्रीय गृह मंत्री को ज़िम्मेदार ठहराते हुए, उन्होंने उनके इस्तीफ़े की माँग की। उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री ने भी बड़ी गैर-ज़िम्मेदारी से काम किया है, जब उन्होंने देश की जनता को कश्मीर के हालात के बारे में बार बार गुमराह किया। प्रधानमंत्री ने लोगों को वहाँ जाने के लिए उकसाया, जबकि उनकी सरकार ने सैलानियों की सुरक्षा के लिए एक भी सुरक्षाकर्मी तैनात नहीं किया था। नतीजतन, वे पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों का आसान निशाना बन गए। उन्होंने पहलगाम के एक शहीद की विधवा के बयान का हवाला देते हुए कहा कि सैलानियों ने सरकार के आश्वासनों पर भरोसा करके कश्मीर का रुख़ किया था, लेकिन देश ने उन्हें वहाँ अनाथों की तरह आतंकवादियों की गोलियों के सामने अकेला छोड़ दिया। श्रीमती वाड्रा ने बताया कि सरकार ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य पूरा नहीं कर पाई है क्योंकि पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष तो अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ बैठकें कर रहे हैं।
अंत में, भावुक हो कर श्रीमती वाड्रा ने पहलगाम के 25 भारतीय शहीदों को श्रद्धा और सम्मान के साथ याद किया और उन सबके नाम बताए – समीर गुहा, मनीष रंजन, सुशील नथानिएल, सैयद आदिल हुसैन शाह, हेमंत सुहास जोशी, अतुल श्रीकांत मोने, नीरज उधवानी, प्रशांत कुमार सत्पथी, एन. राव, संतोष जगदाले, भारत भूषण, सुमित परमार, यतीश परमार, तागे हेल्यांग, शैलेश कलाथिया और कौस्तुभ गनबोटे।
जब श्रीमती प्रियंका गांधी वाड्रा एक-एक करके शहीदों के नाम का उच्चारण कर रही थीं, तो कांग्रेसी सांसद हर नाम के बाद एक स्वर में ‘भारतीय’ बोल रहे थे। सभी शहीदों को एक सुर में भारतीय बुलाना संसद में राष्ट्र प्रेम का बेजोड़ नज़ारा प्रस्तुत कर रहा था। लेकिन हैरानी की बात यह रही कि लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला “भारतीय” शब्द बोलने से नाराज़ हो गए, और उन्होंने इंडिया ब्लॉक के सांसदों पर चिल्लाते हुए उन्हें सामूहिक रूप से शहीदों को भारतीय कहकर संबोधित न करने के लिए कहा। इससे पहले, कुछ भाजपा सांसद शहीदों को भारतीय नहीं, बल्कि हिंदू कह कर सम्बोधित करना चाहते थे।
भाजपा और लोकसभा अध्यक्ष की साम्प्रदायिक और विभाजनकारी मानसिकता पूरे देश के सामने है।
राजीव शर्मा, मुख्य प्रवक्ता, चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस।