इनकम टैक्स के सेक्शन 148 के नोटिस से बचने पर सेमिनार आयोजित
Sanghol Times/चंडीगढ़/20.06.2023/Bureau – इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स की सेक्टर 35 चंडीगढ़ ब्रांच ने आज सेक्शन 148 ऑफ इनकम टैक्स के नोटिस को कम्प्लाई रिप्लाई व अवॉयड करने को लेकर एक सेमिनार का आयोजन किया।
चंडीगढ़ ब्रांच के चेयरमैन विशाल पुरी ने बताया की सेमिनार की मुख्य अतिथि सुनीता बैंसला डीजे एचडी न्यू दिल्ली व अमरपाली दास गेस्ट ऑफ ऑनर रहीं । आज के सेमिनार में ई वेरिफिकेशन के चलते सेक्शन 148 का नोटिस को लेकर मुख्य अतिथि ने चंडीगढ़ के लगभग 200 चार्टर्ड अकाउंटेंट्स के सवालों को जवाब दिया व उन्हें टैक्सपेयर्स को अपनी ईमेल व पोस्ट पर लगातार नोटिस के इंटीमेशन को देखते रहने को आगाह किया । मुख्य अतिथि ने कहा कि बड़ी आसानी से इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से आयी हुई ई वेरिफिकेशन की इंटीमेशन को कम्प्लाई व रिप्लाई करने से मामला सुलझ सकता है और नोटिस से बच सकते हैं ।
*क्यों जारी होता है 148 का नोटिस*
धारा 148 के तहत कारण बताओ नोटिस जारी किया जाता है, जब आयकर विभाग को लगता है कि टैक्सपेयर ने टैक्स से बचने के लिए आय के सभी स्रोतों का खुलासा नहीं किया है. अगर आय से बचने के लिए 1 लाख रुपये की राशि रही हो तो असेसमेंट ईयर के आखिर से चार साल के भीतर विभाग द्वारा नोटिस भेजा जा सकता है. अगर आय से बचने वाली राशि 1 लाख रुपये से अधिक है या अगर भारत के बाहर स्थित किसी भी संपत्ति से संबंधित आय लेकिन टैक्स के लिए शुल्क योग्य है, और छुपाया गया हो तो छह साल के भीतर एक नोटिस भेजा जा सकता है.
क्या करना होगा?
एक महीने के भीतर रिटर्न करें या फिर जो भी नियत अवधि बताई गई हो उसमें वापसी कर दें. असेसमेंट ऑफिसर इस तरह के नोटिस जारी करने के कारण देने के लिए बाध्य है अगर कोई व्यक्ति इसके लिए पूछता है.