निपुण हिमाचल मिशन में मूलभूत ज्ञान को विकसित करने पर बल: डीसी —
जिला शिक्षा प्रशिक्षण केंद्र में संचालन समिति की बैठक आयोजित –
उपायुक्त ने प्रशिक्षण के आनलाइन डैशबोर्ड का भी किया निरीक्षण
SangholTimes/धर्मशाला/25मई,2022(विजयेन्दर शर्मा ) । – राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत ‘निपुण भारत व निपुण हिमाचल मिशन’ के तहत विद्यार्थियों में भाषा तथा गणित के मूलभूत ज्ञान को विकसित करने पर विशेष बल दिया जाएगा इस मिशन के माध्यम से सन 2026-27 तक तीसरी कक्षा के अंत तक छात्र को पढ़ने, लिखने एवं अंकगणित को सीखने की बेहतर क्षमता भी विकसित होगी। यह जानकारी उपायुक्त डा निपुण जिंदल ने बुधवार को धर्मशाला के जिला शिक्षा प्रशिक्षण केंद्र में जिला स्तरीय निपुण भारत व निपुण हिमाचल संचालन समिति की प्रथम बैठक की अध्यक्षता करते हुए दी। उपायुक्त ने निपुण हिमाचल मिशन के तहत केंद्र के मुख्य शिक्षकों तथा शिक्षकों के ऑनलाइन प्रशिक्षण के डैश बोर्ड का निरीक्षण भी किया तथा सुधार के लिए आवश्यक दिशा निर्देश भी दिए।
उन्होंने कहा कि यह मिशन नई शिक्षा नीति के अंतर्गत आरंभ किया गया है। निपुण भारत व निपुण हिमाचल योजना के माध्यम से बच्चे संख्या, माप और आकार के क्षेत्र के तर्क को भी समझ पाएंगे। इसके साथ ही बच्चों के शैक्षणिक सुधार का मूल्यांकन की निगरानी भी सुनिश्चित की जाएगी। बैठक के उपरांत उपायुक्त ने डाइट के प्रशिक्षण हॉल, कक्षाओं का भी निरीक्षण किया।
इस वैठक में संचालन समिति के सदस्य सचिव डाइट प्राचार्य विनोद चौधरी, जिला पंचायत अधिकारी अश्वनी कुमार शर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी संजय ठाकुर, पार्षद अनुज धीमान, डॉ. गुरमीत कटोच, जिला समन्वयक डॉ. जोगिन्द्र सिंह, निशा कटोच, भारती पाठक, उपस्थित रहे।
मुख्य डाकघर में टीबी स्क्रीनिंग शिविर का आयोजन
धर्मशाला, 25 मई (विजयेन्दर शर्मा ) ।- भारतीय डाक विभाग के मण्डलीय अधीक्षक सुरेन्द्र पाल शर्मा ने बताया कि आज मुख्य डाकघर में टीबी स्क्रीनिंग शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. आर.के.सूद ने टी.बी. से सम्बन्धित जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि यदि किसी व्यक्ति को खांसी, बुखार, वजन कम होना इत्यादि के लक्षण दिखाई दें तो उसे अपनी जांच तुरंत करवानी चाहिए। इसी बीमारी की जांच व इलाज निःशुल्क किया जाता है और साथ ही टीबी के मरीज को इलाज के दौरान पोषण के लिए 500 रुपए प्रतिमाह डी.बी.टी. के माध्यम से दिए जाते हैं। उन्होंने बताया कि धूम्रपान करने वाले व्यक्ति, कुपोषण, एचआईवी, कैंसर और शूगर इत्यादि के मरीज में बीमारी के लड़ने की शक्ति और इम्युनिटी कमजोर हो जाती है और ऐसे व्यक्तियों को टीबी की बीमारी होने का ज्यादा खतरा बना रहता है।
उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि ऐसे रोगी से भेदभाव न करें व उसका मनोबल बढ़ाएं ताकि वह अपना ईलाज पूरा कर सके व टीबी की बीमारी से बच सके। दवाई शुरू हाने के बाद मरीज संक्रामक नहीं रहता है इसलिए मरीज के बर्तन-कमरा अलग करने की कोई आवश्यकता नहीं होती है।