पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा – एक दशक से दो लाख लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित
सरकार को आंखें को मूंदे नहीं रहने दे सकते
नयागांव/संघोल टाइम्स/06.12.23/जे के बत्ता –
सार
हाईकोर्ट ने कहा कि अवमानना याचिका सुनने वाली सिंगल बेंच के आदेश पर लगाई गई रोक हटा देनी चाहिए। सिंगल बेंच दो आईएएस और एक आईएफएस को दोषी करार दे चुकी है और उन्हें सजा सुनना बाकी है। हम यदि रोक हटा देंगे तो ये अफसर जेल जाएंगे और इनके जेल जाते ही बाकी अधिकारी जाग जाएंगे और विकास कार्य तुरंत शुरू हो जाएगा।
विस्तार
बीते एक दशक से मूलभूत सुविधाओं से नयागांव के नाडा और बड़ी करोरां के लोगों को वंचित रखने पर हाईकोर्ट ने मंगलवार को पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि आपको आंखें मूंदे रहने नहीं दिया जा सकता। सिंगल बेंच के आदेश पर लगी रोक को हटा दिया जाए तो अफसरों का जेल जाना तय है और ऐसा होते ही विकास कार्य अपने आप शुरू हो जाएंगे। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने अब पंजाब सरकार से पूछा है कि दो लाख लोग बिना बिजली, सीवरेज और पीने के पानी तक से वंचित क्यों हैं। बीते एक दशक में पंजाब सरकार की ओर से कौन से विकास कार्य किए गए हैं। 2010 में गांव बड़ी करोरां और नाडा की 1092 एकड़ जमीन को पंजाब लैंड प्रिजर्वेशन एक्ट से डी-लिस्ट किया गया था और शर्त लगा दी गई थी की यहां कोई व्यावसायिक गतिविधि या कंस्ट्रक्शन नहीं होगी। इसके खिलाफ पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में स्थानीय लोगों ने याचिका दाखिल की थी।
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने 2014 में फैसला सुनाया था कि अगर यह वन भूमि नहीं है तो निर्माण न होने की शर्त यहां नहीं लगाई जा सकती और ऐसे में नए सिरे से अधिसूचना जारी की जाए। हाईकोर्ट को बताया गया था कि आदेश के बावजूद पालन नहीं हुआ जिसके चलते लगातार हाईकोर्ट में याचिकाएं बढ़ती चली गईं। 12 अक्तूबर, 2023 को हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए आदेश के बावजूद कार्रवाई नहीं करने पर तीनों उच्चाधिकारियों को अवमानना का दोषी करार दे दिया था। इन तीनों अधिकारियों सहित मोहाली की डीसी आशिमा जैन और गमाडा के एडिशनल चीफ एडमिनिस्ट्रेटर अमरिंदर सिंह टिवाना ने इस आदेश पर रोक लगाने की खंडपीठ से मांग की है। हाईकोर्ट ने 19 नवंबर को सजा पर फैसला लेने पर रोक लगा दी थी।
मंगलवार को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पूछा कि जब भूमि को गैर वन्य भूमि करार दिया जा चुका है तो आखिर विकास कार्यों की अनुमति क्यों नहीं दी जा रही है। इस पर पंजाब के एडवोकेट जनरल ने कैचमेंट एरिया में भूमि होने की और कुछ लंबित याचिकाओं की दलील दी। इन सभी दलीलों को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने अब पंजाब सरकार से पूछा है कि आखिर क्यों लाखों लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं और पिछले एक दशक में सरकार ने विकास के लिए क्या कार्य किए हैं।
अतिक्रमण पर चलेगा पीला पंजा :-
पटियाला की राव में लोगों के अवैध अतिक्रमण की जानकारी पर हाईकोर्ट ने पूछा कि इस पर कार्रवाई में देरी क्यों की जा रही है। हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को अतिक्रमणकारियों की सूची तैयार करने, उन्हें नोटिस देने और इसके बाद बुलडोजर की कार्रवाई करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि विकास कार्य के दौरान अवैध अतिक्रमण बाधा बनते हैं जिसकी अनुमति नहीं दी जा सकती।
अफसरों को जेल भेजते ही शुरू हो जाएगा विकास :-
हाईकोर्ट ने कहा कि अवमानना याचिका सुनने वाली सिंगल बेंच के आदेश पर लगाई गई रोक हटा देनी चाहिए। सिंगल बेंच दो आईएएस और एक आईएफएस को दोषी करार दे चुकी है और उन्हें सजा सुनना बाकी है। हम यदि रोक हटा देंगे तो ये अफसर जेल जाएंगे और इनके जेल जाते ही बाकी अधिकारी जाग जाएंगे और विकास कार्य तुरंत शुरू हो जाएगा। हालांकि एजी के निवेदन के चलते हाईकोर्ट ने रोक नहीं हटाई।
नर्क के समान हो गया है लोगों का जीवन :-
हाईकोर्ट ने कहा कि मूलभूत सुविधाओं के अभाव में कूड़े का ढेर लंबे समय तक पड़ा रहता है और इसके चलते लोगों का जीवन नर्क समान बन रहा है। सही प्रकार से कूड़े को उठाने का इंतजाम तक मौजूद नहीं है। अगली सुनवाई पर इस बारे में हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को पक्ष रखने का आदेश दिया है कि कैसे यहां से गंदगी के ढेर को हटाया जाएगा।
सड़क को लेकर पंजाब व यूटी दे जवाब :-
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार व यूटी प्रशासन को कैंबवाला, खुड्डा अली शेर, नाडा, करोरां व मुल्लांपुर को जोड़ने वाले मार्ग के निर्माण को लेकर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने दोनों से पूछा है कि मास्टर प्लान के अनुसार इस सड़क के निर्माण को लेकर क्या योजना बनाई गई है। कनेक्टिविटी के लिहाज से यह मार्ग बेहद जरूरी हो गया है।
पंजाब के मुख्यमंत्री आवास को लेकर फिर उठा सवाल :-
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि चंडीगढ़ से नयागांव को जाने वाले मार्गों में से एक पंजाब के मुख्यमंत्री के आवास से होकर भी गुजरता है। इस मार्ग को बंद किया गया है , जिसके चलते लोगों को अन्य मार्गों का विकल्प चुनना पड़ता है ,जो उनके लिए परेशानी का सबब बनते हैं। आखिर इस मार्ग को क्यों नहीं खोला जा रहा है।
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