
सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी मोदी सरकार का काला अध्याय, एक पर्यावरण योद्धा की आवाज़ को दबाने की कोशिश -एडवोकेट अनिका शुक्ला
अंबाला/AMBALA/SANGHOL-TIMES/BUREAU/28SEP,2025- हरियाणा प्रदेश महिला कांग्रेस सेवादल की प्रदेश सचिव व ओएसडी एडवोकेट अनिका शुक्ला शर्मा ने कहा कि लद्दाख के दिल से निकली पर्यावरण और शिक्षा क्रांति की मशाल जलाने वाले लद्दाखीयों की जान सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी न केवल एक व्यक्तिगत हमला है, बल्कि लोकतंत्र की आत्मा पर जबरदस्त प्रहार है। केंद्र की मोदी सरकार द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत की गई यह कार्रवाई बेहद निंदनीय और अलोकतांत्रिक है। लद्दाखी राज्य और स्वायत्तता की मांग को लेकर चल रहे शांतिपूर्ण आंदोलन को हिंसक बनाने का आरोप लगाकर वांगचुक को जेल भेजना, वास्तव में उनकी आवाज को कुचलने की साजिश है। चार लोगों की मौत और दर्जनों घायलों के बीच यह गिरफ्तारी पूरे देश को सोचने पर मजबूर कर रही है—क्या असली खतरा राज्य की मांगों से है या फिर उन नायकों से जो हिमालय के लोगों की आवाज़ बन कर वहां रक्षा कर रहे हैं?
सोनम वांगचुक कोई साधारण व्यक्ति नहीं बल्कि देश के बहुत ही सम्मानित व्यक्ति हैं। वे लद्दाख के उलेटोकपो में 1 सितंबर 1966 को जन्मे एक पढे़लिखे इंजीनियर हैं, जिन्होंने अपनी प्रतिभा से न केवल स्थानीय समस्याओं का समाधान ढूंढा, बल्कि दुनिया भर में भारत का नाम रोशन किया। 1988 में, मात्र 22 वर्ष की उम्र में, उन्होंने स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SECMOL) की स्थापना की। यह संस्था लद्दाखी छात्रों की शिक्षा व्यवस्था में क्रांति लाई। पारंपरिक स्कूलों में असफलता का शिकार हो रहे युवाओं को आत्मविश्वास और जीवन कौशल सिखाकर, SECMOL ने शिक्षा को और व्यावहारिक बनाया। आज यह स्कूल न केवल लद्दाख का गौरव है, बल्कि वैश्विक मॉडल के रूप में जाना जाता है जिसकी चर्चा पूरे देश में है।
वांगचुक की सबसे बड़ी उपलब्धि है ‘आइस स्टूपा’—एक कृत्रिम हिमनदी तकनीक, जो सर्दियों में बहते पानी को शंकु आकार की बर्फ की संरचना में संग्रहीत करती है। जलवायु परिवर्तन से जूझते लद्दाख में वसने वाले लोगों के लिए पानी की कमी एक बहुत बड़ी समस्या थी। 2013 में उन्होंने पहला प्रोटोटाइप बनाया, जो 1.5 लाख लीटर पानी स्टोर कर सकता था। आज यह तकनीक न केवल लद्दाख बल्कि हिमालयी क्षेत्रों में लाखों लीटर पानी बचाती है। इस के लिए उन्हें 2016 में रोलेक्स अवार्ड फॉर एंटरप्राइज और टेरा अवार्ड मिला। 2018 में रेमन मैगसेसे अवार्ड से सम्मानित होकर वे एशिया के नोबेल पुरस्कार विजेता बने। उनकी कहानी इतनी प्रेरणादायक है कि बॉलीवुड फिल्म ‘3 इडियट्स’ में फुंशुक वांगड़ू का किरदार उनके जीवन से प्रेरित है।
पर्यावरण संरक्षण से लेकर सांस्कृतिक जागरूकता तक, वांगचुक ने हमेशा हाशिए पर रहने वालों की आवाज उठाई। वे नोबेल वीक डायलॉग जैसे वैश्विक मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व करते रहे। लेकिन मोदी सरकार को यह रास नहीं आया। लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के बाद राज्यhood की मांग को दबाने के लिए वांगचुक को निशाना बनाया गया। उनकी पत्नी ने बताया कि गिरफ्तारी के दौरान घर की तलाशी ली गई और आरोपों का कोई स्पष्ट ब्योरा नहीं दिया गया।
सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी लद्दाख के लोगों के संघर्ष को और तेज करेगी। सोनम वांगचुक जैसे योद्धा को जेल में डालकर सरकार शायद भूल रही है कि उनकी विरासत बर्फ की तरह पिघलेगी नहीं। हम सभी देश वासियों को ऐसे योद्धा की रिहाई के लिए आवाज उठानी होगी। *क्या इस लोकतांत्रिक देश में असहमति एक अपराध बन गया है?*
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