प्राकृतिक खेती एवं नशा मुक्ति जागरूकता अभियान रहेंगे मुख्य उद्देश्य – राधाकृष्ण आर्य
महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जन्म जयंती पर प्रदेश भर में आयोजित होंगे जागरूकता कार्यक्रम
हरियाणा आर्य प्रतिनिधि सभा प्रधान राधाकृष्ण आर्य बोले जन-जन तक महर्षि दयानंद सरस्वती के संदेशों को पहुंचाना मुख्य लक्ष्य
Sanghol Times/दिल्ली/17.02.2023
गत दिनों नई दिल्ली में महर्षि दयानंद सरस्वती जयंती समारोह के माध्यम से महर्षि दयानंद सरस्वती जयंती के 200वें जन्म जयंती विश्वव्यापी कार्यक्रमों का शंखनाद हो चुका है, जो कि बेहद ऐतिहासिक रहा। और इसी श्रंखला में महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में कार्यक्रम का आयोजन भी हो चुका है। अब लगातार हरियाणा आर्य प्रतिनिधि सभा अगले 2 वर्षों तक पूरे प्रदेश भर में अनेक आयोजन करेगी और मुख्य रूप से प्राकृतिक खेती और नशा मुक्ति जागरूकता अभियान पर विशेष ध्यान रहेगा। राधाकृष्ण आर्य ने कहा कि गुजरात राज्यपाल आचार्य देवव्रत प्राकृतिक खेती जन जागरण अभियान को पूरे देश भर में चला रहे हैं और उनके अभियान की बदौलत ही लाखों की शान प्राकृतिक खेती अपना चुके हैं। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती अभियान से जहां एक ओर धरती बंजर होने से बचेगी वहीं हर दिन नए नाम से जन्म लेती बीमारियां और अस्पतालों में लगी लंबी लाइनों से निजात मिल सकेगी क्योंकि वर्तमान में अधिक से अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर में खेतों में जहरीले कीट नाशक छिड़क छिड़ककर पैदावार बढ़ाने का जो चलन चला रहा है, वह कैंसर जैसी भयानक बीमारियों को जन्म दे रहा है। उन्होंने कहा कि हरियाणा हरिया प्रतिनिधि सभा भजन मंडलियों के माध्यम से महर्षि दयानंद सरस्वती की शिक्षाओं का प्रचार प्रसार करने का कार्य करेगी वहीं दूसरी ओर प्राकृतिक खेती और नशा मुक्ति जन जागरण अभियान बड़े स्तर पर चलाए जाएंगे। दूध दही के प्रदेश में पैर पसारता नशा कहीं ना कहीं युवाओं के लिए घातक सिद्ध हो रहा है। उन्होंने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती कहा करते थे कि युवा ही समाज और देश को अग्रणी बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं इसलिए युवा पीढ़ी का शारीरिक और मानसिक रुप से स्वस्थ होना बेहद जरूरी है। राधाकृष्ण आर्य ने कहा कि आगामी 2 वर्षों के लिए कार्यक्रमों की पूरी रूपरेखा तैयार की जा रही है। विश्वव्यापी कार्यक्रमों की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नई दिल्ली से कर चुके हैं, जो कि बेहद ऐतिहासिक रही तो निश्चित रूप से आगामी 2 वर्षों में न केवल पूरे देश में बल्कि पूरे विश्व में महर्षि दयानंद सरस्वती की शिक्षाओं का डंका बजेगा और देश फिर से उनकी शिक्षाओं को आत्मसात कर विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर होगा।