लोगों की खून पसीने की कमाई लगी दांव पर
गमाडा द्वारा वर्ल्ड ट्रेड सेंटर औऱ बेवरटी गोल्फ एवेन्यु को बकाया रुपये ना भरने के कारण दिया रद करने का नोटिस
कुछ वक्त पहले जीरकपुर का जीबीपी ग्रुप भी अरबो रुपये लेकर हो गया है रफूचक्कर
कुछ बिल्डर बिना सी एल यु और रेरा नंबर के ले रहे है
नाज़ायज़ ट्रांसफर फी – प्रशाशन बैठा है आंखें मूंद कर
Sanghol Times/मोहाली/जीरकपुर/14.04.2023/रमन जुनेजा – एयरपोर्ट रोड पर बहुत ही प्राइम लोकेशन पर बन रहे वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के निवेशकों को पंजाब सरकार ने झटका दिया है और भोले भाले निवेशकों के खून पसीने के करोड़ों रुपए दाव पर लग गये है। वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की साइट पर गमाडा द्वारा लगाए गए नोटिस के अनुसार डब्ल्यू टी सी नोएडा डेवेलपमेंट कंपनी प्राइवेट लिमिटेड,एरिका इंफ्राकॉन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड न्यू दिल्ली द्वारा 38720 वर्ग गज करीब 8 एकड ज़मीन एयरपोर्ट रोड पर 2015 को ली थी और वहां पे अमेरिका की तर्ज़ पर वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के नाम से व्यवासिक प्रजेक्ट बनाना शुरू कर दिया है। एयरपोर्ट नजदीक होने के कारण भोले भाले लोगों को लुभावने प्रलोभन देकर लोगों से करोड़ों रुपए इकट्ठे कर लिये, परंतु गमाडा मे जो रुपए भरने थे वह नहीं भरे है। इस गोरखधंधे में मोहाली सिटी सेंटर में बैठे हुए एक प्रॉपर्टी डीलर ने भी इनका साथ दिया, परंतु जैसे ही यह नोटिस वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की साइट पर लगा वैसे ही निवेशकों ने वहां पर आना शुरू कर दिया है। वहां पर बैठे हुए कर्मचारी निवेशकों को कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए इस बारे में जब संवादाता ने कर्मचारी से बात करनी चाहिए तो उसने सिर्फ इतना ही कहा की वर्ल्ड ट्रेड सेंटर दिल्ली से डायरेक्टर आए हुए हैं और वह गमाडा के साथ बैठकर इसका हल निकाल लेंगे । जब उससे यह पूछा गया कि 2015 से लेकर आज तक उन्होंने कोई पैसा क्यों नहीं जमा करवाया तो वह बहाना बनाकर वहां से निकल गया।
वहीं दूसरी तरफ मोहाली के सबसे पाश इलाके में एम बी इंफ़्रा बिल्ड प्राइवेट लिमिटेड
द्वारा भी 2015 में ऑक्शन में करीब 7.123 एकड़ जमीन सेक्टर 65 में ली थी और वहां पर बेवरटी गोल्फ एवेन्यु नामक लक्सरी फ्लैट बना दिये और लोगो से करीब सारी पेमेंट ले ली । परंतु गमाडा में केवल 20% जमा करवाई, उसके बाद उन्होंने कोई भी पेमेंट जमा नहीं करवाई । जिसके कारण गमाडा द्वारा समाचार पत्रों में इनकी साइट को कैंसिल करने का नोटिस दे दिया है। नोटिस देखने के बाद निवेशकों में हड़कंप मच गया है। खरीदारों ने अपना नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि हमने अपने खून पसीने की कमाई दाव पर लगा दी है, परंतु इस नोटिस के बाद हमें कुछ समझ नहीं आ रहा कि हम क्या करें । उन्होंने गमाडा अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि जब 2015 के बाद कंपनी की तरफ से कोई पेमेंट नहीं आई तो पहले इनको नोटिस क्यों नहीं दिया गया । अब जब हम लोगों खून पसीने की कमाई इन बिल्डरों के पास फस गई है तो गमाडा इनको नोटिस दे रही है।
इस संबंध में जब कंपनी के कर्मचारियों से बात करनी चाहिए तो उन्होंने फोन नहीं उठाया ।
अभी कुछ वक्त पहले ही जीरकपुर का जीबीपी ग्रुप लोगों के करीब 1800 करोड रुपए लेकर रफू चक्कर हो गया था उसके जाने के बाद उसके खिलाफ बहुत मुकदमे दर्ज किए गए परंतु वह देश छोड़कर जाने में कामयाब रहा और अभी तक भी पकड़ा नहीं जा सका और भोली-भाली जनता का करोड़ों रुपए जीबीपी में फसा ही रह गया ।
मोहाली प्रॉपर्टी कंसलटेंट एसोसिएशन के प्रधान हरप्रीत सिंह डडवाल ने कहां कि गमाडा का कार्य शहर की डेवेलपमेंट देखने के साथ साथ बिल्डरों पे नज़र रखना भी है कि उसने गमाडा में कितना पैसा जमा करवाया है और कितना लोगो से इकठा किया है । बिल्डर 10 से 20 परसेंट जमा करवा कर लोगो से पूरे पैसे इकठे कर लेता है और गमाडा अधिकारियो की जाग 8 साल बाद खुलती है, लोग अपनी सारी उम्र की जमा पूंजी लगा कर ठगा सा महसूस करते है । उन्होंने कहा कि मोहाली प्रॉपर्टी कंसलटेंट एसोसिएशन की तरफ से गमाडा से ऐसे बिल्डरों की सूची मांगी जाएगी, जिन्होंने आम जनता से तो ज्यादा पैसे ले रखे हैं और गमाडा मेरे पैसे बहुत ही कम जमा करवाए हैं और लोगों को सूचित किया जाएगा। ऐसे प्रोजेक्टों में अपने खून पसीने की कमाई लगाने से बचें ।
इस संबंध में जब मोहाली प्रॉपर्टी कंसलटेंट एसोसिएशन के पूर्व प्रधान शैलेंद्र आनंद के साथ बात की गई तो उन्होंने कहा कि सरकार की पॉलिसी सही न होने के कारण इन बिल्डरों को फायदा मिल रहा है बलिक गमाडा को चाहिए जो बिल्डर रुपए जमा नहीं करवाता उनकी साइट पर 2 साल बाद ऐसा नोटिस लगा देना चाहिए कि इस प्रॉपर्टी का बकाया बिल्डर द्वारा जमा नहीं करवाया गया है । जब तक बिल्डर रुपए जमा नहीं करवाता तब तक वह इस प्रॉपर्टी को बेच नहीं सकता । ऐसा नोटिस देखकर कोई भी खरीददार ऐसे बिल्डरों के पास अपने खून पसीने की कमाई नहीं लगाएगा । जब उनसे पूछा गया थी क्या इसमें गमाडा अधिकारियों की मिलीभगत भी हो सकती है तो उन्होंने कहा की मिलीभगत तो नहीं परंतु सरकार की खराब पालिसी के कारण बिल्डरों को फायदा मिल रहा है ।