पैसे की होड़ में अपने न गवा देना
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Sanghol Times Bureau/24June,2024
खुशियां पाने के लिए इंसान अपना पूरा जीवन मेहनत-मजदूरी करते-करते गुजार देता है। वह न तो सत्य का पल्ला पकड़ता है और न ही झूठ को अपने पास से दूर जाने देता है। अपनी झूठी प्रसिद्धि के लिए, वह सब कुछ भूल जाता है क्योंकि वह न केवल अपने परिवार से बल्कि अपने भगवान जैसे रिश्तेदारों और दोस्तों से भी धन इकट्ठा करता है। वास्तव में अपने जीवन का आनंद लेना तो दूर की बात है बल्कि अपना खाना-पीना भी भूल जाते हैं। अपने लिए, अपने परिवार के साथ महत्वपूर्ण क्षणों में साथ बैठने की बजाय, वह झूठी प्रसिद्धि के लिए सांसारिक सामान प्राप्त करने में लगा हुआ है। आज समाज को सामाजिक बुराइयों से बचाने के लिए जन कल्याण में योगदान देने में कोई भी खुश नहीं है, बल्कि सामाजिक कार्यकर्ता मदद करने के बजाय तरह-तरह की मुसीबतों में फंसते नजर आ रहे हैं। लेकिन ये लोग ये भी भूल जाते हैं कि समाज के भोले-भाले लोग ही हमें प्रसिद्धि दिलाते हैं। जिनके सिर पर ये लोग ऐश की जिंदगी जी रहे हैं। लेकिन इन लोगों को समाज की कोई परवाह नहीं है। आइए हम सब मिलकर एक ऐसे समाज का निर्माण करें जिसमें कोई भोजन से भूखा, आवास के बिना और तन से नंगा ना हो। ऐसा समाज कब बनेगा जब देश से प्यार करने वाले, देश की पूरी जनता पैसे की भागदौड़ छोड़कर समाज में अपना योगदान देगी। अंत में मुझे बाबा शेख फरीद जी के शब्द याद आते हैं ।
फरीदा तेरी इस दुनिया में पेसे दे सब पीर,
पैसे खातिर कर रहे ने जग नू लिरो लीर, सब रिश्ते ने हुन्न भुल गए, भुल गये जमीर।
-डॉ.जसवंत सिंह खेड़ा, राष्ट्रीय अध्यक्ष मानवाधिकार मंच।
