Sanghol Times/ज्वालामुखी/17जुलाई,2023/विजयेन्दर शर्मा – ज्वालामुखी के विधायक संजय रतन ने जब स्थानीय सरकारी अस्पताल में खुद जाकर हालात देखे तो वह हैरान रह गये। बदइंतजामी का आलम देख उन्होंने बीएमओ को खूब फटकार लगाई। विधायक के सवालों का जवाब देने में बीएमओं के भी पसीने छूटे। हालात इस कदर बिगडे हैं कि 100 बेड की क्षमता वाले सिविल अस्पताल में 32 बेड ही सही हालात में पाये गये। जिनमें भी एक बेड पर चार चार मरीज थे। इस पर विधायक संजय रतन ने सीएमओ धर्मशाला से बात कर सोमवार तक अस्पताल में 50 बेड का सभी जरूरी सामान उपलब्ध कराने को कहा। ज्वालामुखी में 14 डाक्टर की पोस्ट हैं। जिनमें तीन वेकेंट हैं। फिर भी यह रेफरल अस्पताल बन गया है। विधायक के दौरे के दौरान सात ही डाक्टर डयूटी पर थे। यही नहीं लोगों ने बताया कि बीएमओ रोजाना करीब एक बजे डयूटी पर आते हैं। विधायक ने बीएमओ के कार्यालय के हालात देख कर हैरानी जताई। सीलन भरे कमरे के हालात सुधारने को कहा।
सिविल अस्पताल ज्वालामुखी खंडहर हो रहे सराय भवन में चलाया जा रहा है। न तो सरकार को और न ही विभाग को इसकी सुध है। 100 बिस्तर के अस्पताल में अभी मात्र 24 बिस्तर ही हैं। चिकित्सकों के 16 पद हैं, उनमें से आठ ही ओपीडी में बैठ रहे हैं। हर रोज 400 से ज्यादा ओपीडी होती है, लेकिन डॉक्टरों को बैठने तक की जगह नहीं है। एक ओपीडी में चार डॉक्टर बैठ रहे हैं। ओपीडी के बाहर मरीजों के बैठने के लिए जगह नहीं है। उन्हें घटों लाइनों में खड़े होकर बारी का इंतजार करना पड़ता है। कोई विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं है और न ही सर्जन है। मरीजों को गंभीरावस्था में टाडा मेडिकल कॉलेज रेफर करना मजबूरी है। लेबर रूम की हालत खराब है। ऑपरेशन थियेटर न के बराबर हैं। दीवारों व छत से पलस्तर उखड़ कर न जाने किस मरीज पर पड़ जाए।