रूपये को बचाने के लिए डालर पर सर्जिकल स्ट्राइक जरुरी – CA राजेश अग्रवाल
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संघोलटाइम्स/24मई,2022/लुधियाना/पारस – अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन (रजि.) के जोनल चेयरमैन सी.ए राजेश अग्रवाल ने बताया कि डालर के मुकाबले रुपये की वैल्यू को इतिहास में सबसे निचले स्तर को छूना भारतीय इकॉनमी की सेहत के लिए अच्छा नहीं है । आज रुपया डालर के मुकाबले 77.70 के लेवल पर चला गया है, जो कि जनवरी 2022 में 74 रुपये के पास था । भारत अपनी जरूरत का 80 % तेल आयात करता है । इसके इलावा विभिन्न उद्योग अपनी जरुरतों के लिए कच्चा माल व मशीनरी बाहर से आयात करते हैं । डालर का बढ़ना उनके लिए काफी नुक्सान दायक सिद्ध हो रहा है और यह महंगाई की आग में घी का काम कर रहा है । पिछले एक महीने में ही भारत का विदेशी मुद्रा कोष 645 अरब डालर से कम होकर 595 अरब डालर पर आ गया है, जिससे कि हम अपने 10 महीने की आयात जरुरतों को पूरा कर सकेंगे ।
यह कहना है कि डालर की बढ़ती कीमतों से हमारे निर्यातकों को बराबर का लाभ होगा, यह पूरी तरह से ठीक नहीं है क्योंकि एक तो हम 400 अरब डालर का सालाना निर्यात करते हैं और 625 अरब डालर का आयात करते हैं । दूसरा निर्यातक सिर्फ 60 % ही डालर में निर्यात करते हैं बाकी का 40 % यूरो व दूसरी करंसियों में निर्यात करते हैं । इसके इलावा निर्यातकों को एक्सपोर्ट करने के लिए काफ़ी कच्चा माल बाहर से आयात भी करना पड़ता है । इसीलिए डालर बढ़ने का 20 % निर्यातकों को लाभ मिलता है ।
सरकार व रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को गिरते रुपये को संभालने के लिए तुरन्त उपाय करने चाहिए । श्रीलंका, पाकिस्तान, तुर्की, वेनेजुएला की बदतर हालत हमारे सामने है। आईएमएफ ने आशंका जताई है कि 2029 तक भारतीय रुपया डालर 94.50 का लेवल छू सकता है ।
इसको ठीक करने के लिए गैरज़रुरी व लग्जरी आइटम्स का आयात कम करना चाहिए और एक्सपोर्ट को बढ़ाने के लिए हर संभव यत्न करने चाहिए ।
निर्यात के कार्य में बाधा उत्पन्न करने वाले कर्मचारियों पर अंकुश लगाना चाहिये । भारत सरकार को विदेशी बैंकों में पड़े हुए काले धन के अरबों डॉलरों को अपने चुनावी वादों के मुताबिक भारत लाने के लिए कार्य करना चाहिए ।
ताकि रुपये की सेहत में सुधार हो सके । विदेशी संस्थानों के निवेशक भी पिछले 6 महीने से भारतीय बाजारों से 1.35 लाख करोड़ के शेयर बेचकर वापस भेज रहे । भारत सरकार को इस पर तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता है । क्रूड ऑयल के विकल्प (Substitute) पर भी ध्यान देने की सख्त आवश्यकता है । देशवासियों को हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की क्षमताओं पर पूरा विश्वास है और हमें उम्मीद है कि वह डालर पर भी सर्जिकल स्ट्राइक जरूर करेंगे । ताकि भारतीय अर्थ व्यवस्था ठीक हो सके । यहां यह बताना भी ठीक होगा कि जब भारत 1947 में आजाद हुआ था तो एक रुपये की कीमत के बराबर एक डालर था । जो कम होकर 77.70 हो गई है । एक्सपोर्ट बढ़ाकर कर व इंपोर्ट कम करके ही हम अपने रुपये को डालर के मुकाबले मजबूत कर सकते हैं ।