शिरोमणि कमेटी की आंतरिक कमेटी द्वारा एस.वाई.एल के खिलाफ विशेष प्रस्ताव पारित
गुरुद्वारा श्री दरबार साहिब तरनतारन के तालाब में फिल्टर सिस्टम लगाया जाएगा – एडवोकेट धामी
Sanghol Times/Amritsar/Jagmeet Singh/19 अक्टूबर,2023
एसवाईएल के मामले पर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने पंजाब के पक्ष में प्रतिबद्धता व्यक्त की है और स्पष्ट कर दिया है कि इस मुद्दे पर किसी को भी गुंडागर्दी नहीं करने दी जाएगी। पंजाब का पानी एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई इंटर कमेटी की बैठक में इस संबंध में एक विशेष प्रस्ताव पारित किया गया है। बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए शिरोमणि कमेटी के अध्यक्ष ने कहा कि पंजाब के पानी के मुद्दे पर किसी तरह की जबरदस्ती बर्दाश्त नहीं की जाएगी, उन्होंने कहा कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पंजाब सरकार को सर्वेक्षण के संबंध में दिए गए निर्देश के बाद पंजाब सरकार का यह कर्तव्य है कि वह राज्य के अधिकारों और हितों का प्रतिनिधित्व करे और एसवाईएल के खिलाफ अपना मजबूत समर्थन स्पष्ट रूप से दर्ज कराए ! उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार द्वारा कोर्ट में सही पक्ष नहीं रखने के कारण ही ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई हैं। एडवोकेट धामी ने कहा कि स्थायी समिति ने स्पष्ट रूप से निर्णय लिया है कि यदि पानी के मुद्दे पर कोई दबाव है, तो शिरोमणि समिति पंजाब के पक्ष में मजबूती से खड़ी रहेगी। शिरोमणि कमेटी एसवाईएल के विरोध में खड़े सभी राजनीतिक, सामाजिक, किसान और धार्मिक संगठनों सहित पंजाब के लोगों को आश्वासन देती है कि जहां भी जरूरत होगी, सिख संगठन अग्रणी भूमिका निभाएंगे। उन्होंने कहा कि लाखों ट्यूबवेलों के माध्यम से भूमिगत जल निकालने के कारण नहरी पानी की सीमित उपलब्धता के कारण पंजाब पहले से ही डार्क जोन की समस्या की ओर बढ़ रहा है। पंजाब के हिस्से का अधिकांश पानी अंतरराष्ट्रीय रिपेरियन कानून का उल्लंघन कर हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली राज्यों को दिया जा रहा है। इसके बदले में पंजाब को कोई मुआवज़ा नहीं दिया जाता। अगर पंजाब के पानी को लेकर आगे कोई धक्का-मुक्की की गई तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने पंजाब के इस संवेदनशील मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय नदी तट कानून और पानी से जुड़ी मानवीय चिंताओं के मद्देनजर भारत सरकार से यह सुनिश्चित करने की भी अपील की कि पंजाब के साथ कोई अन्याय न हो। इसके अलावा आंतरिक समिति द्वारा कई अन्य महत्वपूर्ण निर्णय भी लिये गये हैं। एक प्रस्ताव में पंजाब सरकार ने लुधियाना में 1984 के सिख नरसंहार पीड़ितों के लाल कार्डों को तत्काल बहाल करने की मांग की है, जिन्हें पिछले दिनों रद्द कर दिया गया था ! इस बारे में एडवोकेट धामी ने कहा कि सिख नरसंहार कभी न भूलने वाली त्रासदी हैं। दुख की बात है कि पीड़ितों को न्याय देने की बजाय और अधिक परेशान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पंजाब की पिछली कांग्रेस सरकार द्वारा 135 लाल कार्ड रद्द कर अन्याय किया गया हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार को तुरंत इन लाल कार्डों को बहाल करना चाहिए और पीड़ितों की बात सुनकर अन्य जरूरी कल्याणकारी योजनाएं बनानी चाहिए।