सांसद विक्रम साहनी ने 84 दंगों से जुड़ी खुफिया विभाग की फाइलों को सार्वजनिक करने का आह्वान किया
दंगा पीड़ितों के लंबित बिजली बिल और गृह ऋण के ब्याज में छूट का किया अनुरोध
Sangh Times/नई दिल्ली/02/11/2023/Sukhbir Si gh-Jatinder Pal Singh –
स्थित गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब में 1984 के सिख विरोधी दंगों के शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए एक कैंडल मार्च का नेतृत्व करते हुए, पंजाब के राज्यसभा सांसद विक्रमजीत सिंह साहनी ने कहा कि वह क्रूरता और बर्बरता का प्रदर्शन था। कुछ अमानवीय लोगों द्वारा सुनियोजित रूप से किया गया एक कुक्रत्य, जिसमे दिल्ली और देश के 100 से अधिक शहरों की सड़कों पर नरसंहार हुआ ।
श्री साहनी ने कहा कि उनकी जानकारी में आया है कि 1984 के सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों पर लाखों रुपये तक का बिजली बिल बकाया है और उन्हें पुनर्वासित फ्लैटों के गृह ऋण के भुगतान के लिए भी नोटिस मिल रहे हैं, जिसके लिए वह दिल्ली एवं केंद्र सरकार से बातचीत कर प्रयासरत है की सभी दंगा पीड़ितों के लंबित बिजली बिलों और गृह ऋणों के ब्याज पर छूट प्रदान किया जाए।
श्री साहनी ने यह भी कहा कि 1984 के दंगों से जुड़ी सभी आईबी, एसआईबी, रॉ एवं अन्य खुफिया एजेंसियों की रिपोर्टों को सार्वजनिक किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया की उन्होंने इस मुद्दे को संसद में उठाया था क्योंकि देश एवं विशेषकर सिख समुदाय सच्चाई जानने का हकदार है।
श्री साहनी ने कहा कि इस नरसंहार ने 30,000 से अधिक लोगों की जान ले ली। भारत भर के 100 से अधिक शहरों में लगभग 3 लाख सिख विस्थापित और बेघर हो गए। दंगों के बाद अब तक 4 न्यायिक आयोग, 9 समितियां और 2 एसआईटी गठित की जा चुकी हैं। लेकिन पीड़ित अभी भी लगभग 4 दशकों से न्याय के लिए लंबी राह पर चल रहे हैं। अब समय आ गया है कि हम सामूहिक तौर पर एक राष्ट्र के रूप में “न्याय में देरी, न्याय न मिलना” के सिद्धांत पर विचार करें।
श्री साहनी ने यह भी कहा कि सरकार ने पीड़ितों को मुआवजे के तौर पर 5 लाख रुपये दिए हैं लेकिन इंसान की जान की कीमत इतनी नहीं हो सकती. उन्होंने बताया कि 2019 में नई एसआईटी के गठन के बाद वह पूरे भारत के कई द्वितीय श्रेणी के शहरों में न्याय पाने के लिए कानूनी लड़ाई को प्रायोजित कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के कानपुर में, जहां 1984 में दंगाइयों ने सैकड़ों सिखों को मार डाला था ।लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई, वहां हमारी कानूनी टीम ने पिछले कुछ महीनों में 43 आरोपियों को गिरफ्तार करवाया।
अपना स्वयं की आपबीती साझा करते हुए श्री साहनी ने बताया कि कैसे उन्होंने उस नरसंहार में अपने पूरे परिवार को खो दिया। उन्होंने भगवान को भी धन्यवाद दिया कि वह बच गये, क्योंकि वह उस ट्रेन में चढ़ने से चूक गये थे जो बाद दंगाइयों के हत्थे चढ़ गई थी और बलवाइयों ने उसे आग के हवाले कर दिया ।