इंकलाबी केंद्र पंजाब ने कश्मीर से धारा 370 हटाने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर भारतीय इतिहास में काला दिन बताया
Sanghol Times/चंडीगढ़/Sangrur/दलजीत कौर/11 दिसंबर, 2023 – जम्मू-कश्मीर पर विशेष धारा 370 को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है और उसके मुताबिक इस फैसले में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाने के सरकार के फैसले को बरकरार रखा गया है और कहा गया है कि अगले साल 30 सितंबर तक विधानसभा चुनाव कराने के लिए कदम उठाया जाना चाहिए । मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ में न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना शामिल थे। पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा है कि संविधान का अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था और इसे रद्द करने का अधिकार राष्ट्रपति के पास है । शीर्ष अदालत ने केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग करने के अगस्त 2019 के फैसले की वैधता को भी बरकरार रखा। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य के पास देश के अन्य राज्यों के उलट आंतरिक प्रभुसत्ता नहीं थी।
इंकलाबी केंद्र पंजाब के अध्यक्ष साथी नारायण दत्त और महासचिव कंवलजीत खन्ना ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कश्मीर अवाम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की निंदा की जानी चाहिए और जम्मू-कश्मीर के लोगों की आजादी और लोकतंत्र के अधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए, समर्थन किया जाए।
इंकलाबी केंद्र पंजाब के अध्यक्ष नारायण दत्त और महासचिव कंवलजीत खन्ना ने कहा कि वास्तव में, विभिन्न देशों की अदालतें जन-हितैषी, तर्कसंगत, न्यायिक निर्णय लेने के बजाय देश के शासक वर्ग और सत्तारूढ़ दल हैं। के राजनीतिक हितों की पूर्ति की दिशा में केंद्र सरकार ने धारा 370 को खत्म कर कश्मीरी लोगों की आकांक्षाओं की हत्या कर दी। पिछले दिनों अडानी हिंडनबर्ग रिश्ते को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी अडानी के पक्ष में फैसला सुना साबित कर दिया था। इससे पहले राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद फैसला इसी प्रक्रिया का हिस्सा था/है । अब जम्मू-कश्मीर धारा 370 पर फैसला इस तरह आया है। 1947 से जब से सत्ता भारतीय शासक वर्ग की पार्टियों, साम्राज्यवादियों के दलालों के हाथ में आई है, भारत के संघीय ढांचे को कमजोर किया जा रहा है और राज्यों के अधिकारों को कुचला जा रहा है। ऐसे समय में जब भारत को जम्मू-कश्मीर को अपने कब्जे में लेने की जरूरत थी, तब उसे अधिक से अधिक अधिकारों का लालच दिया गया और इन अधिकारों के लिए जम्मू-कश्मीर के लिए अलग राष्ट्रपति, अलग प्रधान मंत्री और अलग झंडे को मान्यता दी गई, लेकिन बाद में लोकतंत्र को मान्यता दी गई और शेख अब्दुल्ला, जो अधिक अधिकारों की वकालत की, जेल में सड़ने के लिए डाल दिया गया।
पंजाब के इंकलाबी केंद्र के नेताओं ने कहा कि भाजपा सरकार की हिंदू सांप्रदायिकता के उदय के साथ कश्मीर के मुसलमानों को आज़ाद किया जा रहा है और वहां लगातार सैन्य शासन है। अब सुप्रीम कोर्ट ने धारा 370 को खत्म कर बीजेपी के हिंदू सांप्रदायिक मंसूबों पर मुहर लगा दी है । भारत में पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में जीत ने पहले ही बीजेपी के हौसले बढ़ा दिए थे|, लेकिन अब जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटने से भारत में हिंदुत्व फासीवाद को और अधिक समर्थन मिलेगा । भारत में सबसे बड़ा धार्मिक अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय, अधिक दमन का शिकार होगा।