
पूँजीपतियों के लिए स्वर्ग बनाने का काम कर रही मोदी सरकार – एडवोकेट विवेक हंस गरचा
मोदी सरकार द्वारा पूँजीपतियों की 12 लाख करोड़ की क़र्ज़ माफ़ी – न्यू कांग्रेस पार्टी (NCP)
Sanghol Times/Chandigarh/18.12.2023 – न्यू कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) सुप्रीमो एडवोकेट विवेक हंस गरचा ने कहा कि ‘भारतीय रिज़र्व बैंक’ के मुताबिक़ मोदी सरकार ने पिछले आठ सालों में पूँजीपतियों का “चुकता ना होने योग्य” 12.08 करोड़ रुपए के क़र्ज़ को माफ़ कर दिया है। एडवोकेट विवेक हंस गरचा ने बताया कि “चुकता ना होने योग्य” क़र्ज़ वो है, जिसे कोई भी कंपनी या अमीर व्यक्ति बैंक से क़र्ज़ के रूप में लेता है, पर बाद में घाटे का हवाला देकर क़र्ज़ चुकाने से मुकर जाता है। इसके बाद संबंधित व्यक्ति या कंपनी को डिफ़ॉल्टरों की सूची में शामिल कर लिया जाता है। सरकारी आँकड़ों के मुताबिक़ देश में 11,333 से ज़्यादा डिफ़ॉल्टर हैं, पर अब ‘भारतीय रिज़र्व बैंक’ के नए निर्देशों के अनुसार बैंकों को एक समझौते के तहत क़र्ज़ का निपटारा करने के लिए कहा गया है यानी मोदी सरकार चाहती है कि देश के सरकारी बैंकों से धोखाधड़ी करने वाले मोदी सरकार के चहेतों पर कोई कार्रवाई ना की जाए और उनके साथ एक समझौता करके उनके ख़िलाफ़ आपराधिक मामला दर्ज करने की बजाय उन्हें क़र्ज़ वापसी के लिए 12 महीनों का समय दिया जाए और जितना क़र्ज़ वे वापिस कर सकते हैं, वह लेकर इसके बाद उन्हें छोड़ दिया जाए और अगर वे माँगते हैं तो आगे भी बिना शर्त और क़र्ज़ दिए जाएँ।
न्यू कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) सुप्रीमो एडवोकेट विवेक हंस गरचा ने कहा कि आम लोगों को मिलने वाली मामूली सुविधाओं को रेवड़ियाँ बताकर बदनाम करने वाले मोदी ने देश के सरकारी और ग़ैर-सरकारी बैंकों के ज़रिए लगभग 67.66 लाख करोड़ के क़र्ज़ बड़े पूँजीपतियों को दिए हुए हैं। दिए गए कुल क़र्ज़ का लगभग 44% देश के ऊपर के 100 पूँजीपति घरानों को दिया हुआ है और इसमें से भी 15% क़र्ज़ गुजरात के बड़े व्यापारियों और कारोबारियों का है। 2014 में “चुकता ना होने योग्य” क़र्ज़ की राशि 2.4 करोड़ थी, वह 2023 में बढ़कर 12.08 लाख करोड़ हो गई है। यह रक़म भारत के शिक्षा बजट से 15 गुना ज़्यादा बड़ी है। इतनी बड़ी रक़म से देश में ऐम्स और पीजीआई जैसे 1500 अस्पताल बनाकर लाखों लोगों को बेवक़्त मौतों से बचाया जा सकता था।
एडवोकेट विवेक हंस गरचा ने कहा कि अगर हम पिछले “चुकता ना होने योग्य” क़र्ज़ को देखें तो पता लगता है कि जिन पूँजीपतियों ने क़र्ज़ वापिस ना करके सरकारी पैसे को जो चूना लगाया, उनमें सबसे अधिक मोदी के ही करीबी हैं। जिनमें नीरव मोदी 11,633 करोड़, मेहुल चौकसी 13,500 करोड़, जतिन मेहता (विन्सन डायमंड का मालिक) 700 करोड़, शराब कारोबारी और किंगफ़िशर एयरलाइंस का मालिक विजय माल्या 10,000 करोड़। इनके अलावा देश को सबसे ज़्यादा चूना लगाने वाली 25 कंपनियों में कुछ ये हैं – गीतांजलि जैम्स, ऐरा इंफ़्रा, कनकास्ट स्टील पावर, आर ई आर ई एग्रो लिमिटेड और ऐबीजी शिपयार्ड कंपनी, जिन्होंने देश के 28 बैंकों को कुल 23,000 करोड़ का चूना लगाया है। इस तरह मोदी राज में सरकारी बैंकों के साथ हुई यह कुल 12.08 करोड़ की धोखाधड़ी आज़ाद भारत की सबसे बड़ी धोखाधड़ी है।
एडवोकेट विवेक हंस गरचा ने कहा आओ जानते हैं ये बड़े पूँजीपति कैसे लगाते हैं चूना ? कुछ पूँजीपति हिस्सेदारियों द्वारा ही कंपनी बनाते हैं। इन हिस्सेदारियों को फिर शेयर मार्किट में शेयरों के रूप में बेचा जाता है। कंपनी बनाने और चलाने वाले व्यक्ति इनमें बहुत ही नाममात्र का हिस्सा रखते हैं। जब कंपनी घाटे में चली जाती है तो हर व्यक्ति को उतना ही घाटा पड़ता है जितने उसके पास शेयर होते हैं। बाक़ी इस कंपनी को चलाने वाले इस कंपनी के मालिक पदों पर होने की वजह से, घाटे या कंपनी बंद होने के कारण अलग हो जाते हैं, जिनसे क़ानूनी कमज़ोरियों के कारण बैंक क़र्ज़ की वसूली नहीं कर सकते। पर ज़्यादा इच्छा सरकार की भी नहीं होती, इसीलिए क़ानून में कमज़ोरियाँ रखी जाती हैं या कह सकते हैं कि क़ानूनी सुविधाएँ दी जाती हैं और अब रिज़र्व बैंक के नए नियमों ने इन पूँजीपतियों को खुला हाथ दे दिया है।
अक्सर सरकार द्वारा क़र्ज़ माफ़ी में पारदर्शिता नहीं होती और इसमें सरकारी पैसे का सबसे बड़ा दुरुपयोग किया जाता है। लूटेरी सरकार और बैंक कभी भी सार्वजनिक तौर पर यह नहीं बताते कि उन्होंने किस-किस व्यक्ति के कितने क़र्ज़ पर काटा मारा है। आम नागरिक द्वारा कुछ हज़ार या लाख रुपए ना वापिस कर पाने पर बैंक और सरकार कुर्की तक कर देते हैं, पर बड़े-बड़े पूँजीपति अरबों-खरबों के बड़े क़र्ज़ हज़म करके डकार तक नहीं लेते और सरकार उनकी तरफ़ आँख भी नहीं उठाती, बल्कि क़र्ज़ माफ़ करके उन पर मेहरबान होती है।
एडवोकेट विवेक हंस गरचा ने कहा कि अब रिज़र्व बैंक के नए निर्देशों के मुताबिक़, देश के सरकारी बैंकों को चूना लगाने वाले सरकार के चहेतों की जायदादों की कुर्की नहीं की जाएगी और बड़े पूँजीपतियों के ख़िलाफ़ बैंकों के साथ की गई धोखाधड़ी के मामले दर्ज नहीं किए जाएँगे। इस बदलाव से नीरव मोदी, मेहुल चौकसी, विजय माल्या, निशांत मोदी, आदि जैसों के भारत में आने का रास्ता भी साफ़ हो जाएगा। यानी इन बड़े लुटेरों को और ज़्यादा लूट करने की छूट दी जा रही है। ज़ाहिर है, फिर 2024 के लोकसभा चुनाव में यही लूटेरे भाजपा को मोटा फ़ंड भी देंगे।
सरकारी बैंकों के करोड़ों रुपयों के घाटे की पूर्ति कहाँ से की जाएगी ? : न्यू कांग्रेस पार्टी (NCP)
साफ़ है कि सरकारी बैंकों के इस घाटे का सारा बोझ देश की जनता पर डाला जाएगा और इससे मेहनतकश आबादी जो पहले ही अनंत महँगाई, बेरोज़गारी, ग़रीबी झेल रही है, उस पर अलग-अलग तरह के अन्य टैक्स लगाकर और पुराने टैक्स और बढ़ाकर बोझ बढ़ाया जाएगा।
इससे स्पष्ट होता है कि सरकार और इसके संस्थान बड़े पूँजीपतियों के साथ खड़े हैं। आम मज़दूर, मेहनतकश चाहे भूखों मरते रहें, उनके लिए सरकार के पास कुछ नहीं। आम लोगों को मिलने वाली मुट्ठी-भर जन-सुविधाओं पर भी सरकार लगातार कट लगा रही है और आम मेहनतकश लोगों को ख़ाली ‘मन की बात’ के ज़रिए मन बहलाने की कोशिश की जा रही है। आज मज़दूरों और अन्य मेहनतकश लोगों को समझ लेना चाहिए कि यह पूँजीवादी व्यवस्था और लूटेरी सरकारें उनके ख़ून की आख़िरी बूँद तक निचोड़ कर पूँजीपतियों के लिए स्वर्ग बनाने का काम करती हैं। इसीलिए आज ऐसे समाजवादी समाज का निर्माण करने के लिए यत्न तेज़ करने की ज़रूरत है जहाँ सरकारी नीतियाँ मेहनतकशों के भले के लिए हों।