
सरकार बनने के तुरंत बाद धारा 370 की बहाली का प्रस्ताव पास – बीजेपी ने किया विरोध
J&K/SANGHOL-TIMES/BUREAU/06 नवंबर,2024 –
सरकार बनने के तुरंत बाद कश्मीरी लोगों ने बड़ा कदम उठाया है। विधानसभा में धारा 370 की बहाली का प्रस्ताव पास कर दिया गया है। बेशक इसका बीजेपी द्वारा विरोध किया गया, लेकिन इसे बहुमत से पास कर दिया गया।
दरअसल जम्मू-कश्मीर विधानसभा के तीसरे दिन उपमुख्यमंत्री सुरेंद्र चौधरी द्वारा धारा 370 को बहाल करने की मांग वाला मत पेश करने के बाद जोरदार हंगामा हुआ । हंगामे के बावजूद यह प्रस्ताव विधानसभा में पास हो गया।
विरोधी दल के नेता सुनील शर्मा ने इस कदम का कड़ा विरोध करते हुए सरकार पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि जब उपराज्यपाल के भाषण पर चर्चा करने का समय था, तो फिर प्रस्ताव कैसे पेश किया गया? आज़ाद विधायक शेख खुर्शीद और शबीर कूले, पीसी मुखी साजिद लोन और तीन पीडीपी विधायकों ने मत का समर्थन किया।
प्रस्ताव में क्या है?
विधानसभा की मीटिंग शुरू होते ही उपमुख्यमंत्री सुरेंद्र चौधरी ने सरकार की ओर से यह प्रस्ताव पेश किया। इसमें लिखा है, ‘यह विधानसभा जम्मू-कश्मीर के लोगों की पहचान, संस्कृति और अधिकारों की रक्षा करने वाली विशेष और संवैधानिक गारंटी के महत्व की पुष्टि करती है और इसे एकपक्षीय हटाने पर चिंता प्रकट करती है।’
मत में आगे कहा गया, ‘यह विधानसभा भारत सरकार से विशेष दर्जे, संवैधानिक गारंटी की बहाली और इन व्यवस्थाओं को बहाल करने के लिए जम्मू और कश्मीर के लोगों के चुने हुए प्रतिनिधियों के साथ बातचीत शुरू करने की मांग करती है।’ इस मत में यह भी लिखा गया था कि यह विधानसभा इस बात पर जोर देती है कि बहाली की किसी भी प्रक्रिया में राष्ट्रीय एकता और जम्मू-कश्मीर के लोगों की जायज़ इच्छाओं की रक्षा की जानी चाहिए।
बीजेपी ने किया विरोध
बीजेपी सदन में मत का विरोध करती रही, जिस कारण विधानसभा स्पीकर को सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी। अंत में विधानसभा के स्पीकर अब्दुर रहीम राठर ने प्रस्ताव को वोटिंग के लिए रखा और प्रस्ताव को बहुमत से पास कर दिया गया। विरोधी धारा के नेता सुनील शर्मा और अन्य विपक्षी नेताओं ने सत्ताधारी पार्टी की कड़ी आलोचना की और कामकाज में आई बदलाव पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, ‘जब आज विधानसभा में एलजी के संबोधन पर चर्चा होनी थी, तो यह प्रस्ताव कैसे पेश किया गया?’
एनसी ने चुनाव मैनिफेस्टो में वादा किया था
यह बता दें कि 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और 35ए हटा दिया था। इसके साथ ही, उस समय के राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया गया था। कश्मीरी नेताओं सहित ज्यादातर विपक्षी पार्टियों ने इसका विरोध किया था। जम्मू-कश्मीर की दो मुख्य पार्टियों नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी ने केंद्र सरकार के इस कदम को कश्मीरी लोगों के साथ धोखा करार दिया था। इस साल हुई विधानसभा चुनावों में नेशनल कांफ्रेंस ने अपने चुनाव मैनिफेस्टो में सूबे का विशेष दर्जा बहाल कराने का वादा किया था।””