मोहाली/SANGHOL-TIMES/BUREAU/15 NOV.,2024 : फोर्टिस हॉस्पिटल,मोहाली के वरिष्ठ यूरो-ऑन्कोलॉजिस्ट और रोबोटिक सर्जन, डॉ. धर्मेंद्र अग्रवाल के नेतृत्व में एक टीम ने 62 वर्षीय एक रोगी के शरीर से14 सेंटीमीटर के विशाल किडनी ट्यूमर और ट्यूमर थ्रोम्बस (रक्त का थक्का) को निकालने के लिए एक जटिल रोबोटिक-असिस्टेड सर्जरी की। अत्याधुनिक दा विंची रोबोटिक सिस्टम से की गई यह उन्नत सर्जरी पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में अपनी तरह की पहली सर्जरी है,जो उच्च जोखिम वाले मामलों में रोबोटिक-असिस्टेड सर्जरी की प्रभावशीलता को प्रदर्शित करती है।
डॉ. अग्रवाल ने कहा,“इस तरह के भयानक किडनी कैंसर के लिए आमतौर पर बेहद इनवेसिव प्रक्रिया की आवश्यकता होती है, जिसमें काफी खून बहता है और अन्य दिक्कतें पैदा होने का जोखिम होता है। हालांकि, हमने रोबोट की सहायता से रेडिकल नेफरेक्टोमी और आईवीसी थ्रोम्बेक्टोमी का विकल्प चुना, यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किडनी और ट्यूमर थ्रोम्बस दोनों को सुरक्षित रूप से निकालने के लिए अत्यधिक सटीकता की आवश्यकता होती है। उन्नत दा विंची रोबोटिक सिस्टम का उपयोग कर, हमने सावधानी पूर्वक इन्फीरियर वेना कावा को अलग किया, रक्त प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए स्लिंग लगाए और आईवीसी के प्रभावित हिस्से से ट्यूमर थ्रोम्बस को हटा दिया। फिर हमने नस को ठीक किया, जिससे उचित रक्त प्रवाह सुनिश्चित हुआ। सर्जरी का जटिल हिस्सा सिर्फ12 मिनट में पूरा हो गया,जबकि पारंपरिक सर्जरी होती तो इसमें 20-30 मिनट लगते।”
62 वर्षीय मरीज को शुरू में पेशाब में खून आया। स्थानीय केंद्रों पर प्रारंभिक उपचार के बाद, स्कैन से पता चला कि उसके दाहिने गुर्दे में 14 सेमी का ट्यूमर है, जिसने अंग को पूरी तरह से बदल दिया था और एक थ्रोम्बस (रक्त का थक्का) बना था जो रीनलवेन और इन्फीरियर वेना कावा (आईवीसी)तक फैल गया था, जो हृदय में रक्त वापस लाने वाली मुख्य नस (वेन) है। सर्जरी में किडनी, रीनलवेन और आईवीसी से ट्यूमर और थ्रोम्बस दोनों को निकालना आवश्यक था,इसलिए यह प्रक्रिया बेहद अत्यधिक जटिल बन गई।
गौरतलब है कि रोबोट प्रक्रिया के परिणाम स्वरूप कम से कम खून बहा,जो पारंपरिक ओपन सर्जरी की तुलना में बहुत कम है, जिससे अलग से खून चढ़ाने की ज़रूरत नहीं पड़ी। इसके अलावा, इस उन्नत सर्जिकल तकनीक को अपनाने से आईवीसी थ्रोम्बेक्टोमी करते समय कार्डियक अरेस्ट और रेस्पिरेटरीफेलियर का जोखिम कम हो गया। रोगी को कम से कम असुविधा के साथ तीन दिन के बाद छुट्टी दे दी गईऔर वह जल्दी ठीक हुआ, दर्द कम हुआ और अस्पताल में कम समय तक रहना पड़ा।
मरीज़ ने फोर्टिस अस्पताल, मोहाली में मिली देखभाल के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा, “मैं इससे जुड़े जोखिम को लेकर बहुत चिंतित था, लेकिन डॉ. अग्रवाल और पूरी टीम ने मुझे हर कदम पर आश्वस्त किया। मुझे आश्चर्य है कि मैं कितनी जल्दी ठीक होकर घर लौट आया।”
