आरबीआई कहता है कैश छोड़ो डिजिटल हो जाओ
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सभी कमर्शियल बैंकों से कहा है कि वह जल्दी से जल्दी एटीएम मशीनों पर बिना डेबिट कार्ड के पैसा निकालने की सुविधा दें। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया अपनी योनो स्कीम के तहत पहले ही यह सेवा दे रहा है। आरबीआई का कहना है कि फिजिकल कार्ड न होने से कार्ड क्लोनिंग और डिवाइस से छेड़छाड़ जैसी धोखाधड़ी की घटनाओं में कमी आएगी। नए सिस्टम में यूपीआई पिन का इस्तेमाल करके ग्राहक रुपए निकाल सकेंगे। इस सुविधा के लिए बैंक एटीएम चार्ज नहीं ले पाएंगे। यह सभी नागरिकों के लिए एक अच्छी सुविधा होगी और कार्ड साथ में रखना जरूरी नहीं होगा। भारत में डिजिटल बैंकिंग का चलन बढ़ता जा रहा है। लगभग 20 करोड़ भारतीय फिलहाल डिजिटल बैंकिंग का लाभ ले रहे हैँ। आरबीआई इस संख्या को बढ़ाना चाहता है। अभी देश का बड़ा तबका डिजिटल नहीं पाया है। डिजिटल बैंकिंग सेवाओं का फायदा सभी तक पहुंचाने के लिए, आरबीआई ने बैंकों को डिजिटल बैंकिंग यूनिट खोलने के लिए कहा है। इंडियन बैंकिंग एसोसिएशन का कहना है कि जुलाई में देश के 75 जिलों में डिजिटल बैंकिंग यूनिट शुरू हो जाएंगे।
इन बैंकिंग यूनिट्स में वह सारे काम होंगे जो आप इंटरनेट बैंकिंग यानी नेट बैंकिंग से करते हैं। यहां बस कैश का लेनदेन नहीं होगा। कैश के अलावा इन ब्रांचों में बचत खाता, चालू खाता, फिक्स्ड डिपॉजिट, रिकरिंग डिपॉजिट, ट्रांजिट कार्ड, इंटरनेट बैंकिंग, डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, बैंक लोन, भीम क्यूआर कोड आदि सेवाएं मिलेंगी। कस्बों तक में डिजिटल बैंकिंग यूनिट खोली जाएंगी। कमर्शियल बैंक पहले से ही डिजिटल बैंकिंग का विकल्प दे रहे थे, लेकिन अब डिजिटल बैंक भी चला सकेंगे। ये एक तरीके से फिजिटल बैंक कहलाएंगे, जोकि फिजिकल और डिजिटल से मिलकर बना है। इन यूनिटों में जाकर आप अपनी डिजिटल बैंकिंग संबंधी जरूरतों को समझ पाएंगे और बैंक की मदद ले पाएंगे। यूपीआई से पहले ही कैशलेस भुगतान को बढ़ावा मिला है, जिससे डिजिटल पेमेंट लोकप्रिय हो रहा है। रिटेल डिजिटल पेमेंट की बात करें तो बीते चार सालों में इसमें यूपीआई की हिस्सेदारी दोगुने से अधिक हो चुकी है। यूपीआई का पूरा नाम है यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस। वित्त वर्ष 2020-21 में दुकानों पर किए जाने वाले डिजिटल पेमेंट्स में यूपीआई की हिस्सेदारी 28 प्रतिशत थी, जो इस साल यानी 2021-22 में बढ़ कर 42 प्रतिशत हो गई है।
अब तो डिजिटल रुपया भी आने वाला है। यह बैंक नोट की तरह ही होगा, बस इसके लिए किसी एटीएम की जरूरत नहीं होगी। इसके यूजर अपने बचत खाते से स्मार्टफोन वॉलेट के माध्यम से ऑनलाइन टोकन के रूप में इसका लेन-देन कर सकेंगे। इस रुपए की गारंटी भारतीय रिजर्व बैंक आरबीआई लेगा। इसमें चूंकि आरबीआई की सीधी भूमिका है तो लोगों को वैसे किसी नुकसान का जोखिम नहीं रहेगा, जैसा कमर्शियल बैंकों के मामले में पहले हो चुका है। पिछले कुछ सालों में बैंकिंग की अपनी गड़बड़ी के चलते 21 बैंकों से ग्राहकों को अपना पैसा निकालने से ही रोक दिया गया था। हालांकि डिजिटल रुपए के कुछ जोखिम भी हैं। सोचिए अगर डिजिटल रुपया ज्यादा लोकप्रिय हो गया तो बैंकों को छोटे अकाउंट मेंटनेट करना मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि सारे लोग इलेक्ट्रॉनिक कैश की तरफ मुड़ सकते हैँ। वित्त विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में डिजिटल रुपए की अभी खास जरूरत नहीं है, क्योंकि देश में पर्याप्त नगदी है।
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नरविजय यादव वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं।