भगत पूर्ण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग
Sanghol Times/कानपुर/Bureau/05.08.2023 – उत्तर प्रदेश के प्रमुख सिख नेता एवं सन्त लोंगोवाल फाउंडेशन के संस्थापक सरदार हरमिंदर सिंह ने पिंगलवाड़ा के संस्थापक भगत पूर्ण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह को भेजे गए पत्र के मा जीवीध्यम से की है । पत्र में कहा गया है कि गुरू नगरी अमृतसर में स्थापित “पिंगलवाडा” के माध्यम से समाज के दीनहीन, गरीब, लावारिस अपंग, दिव्यांग जनों की जीवन पर्यन्त समर्पित हो कर बिना किसी भेद भाव व जातपात से हटकर उनकी सेवा संभाल करने की।
भगत पूर्ण सिंह जी ने अपना सारा जीवन दुःखी बेसहारा , पीड़ित मानवता की निःस्वार्थ सेवा को अर्पित कर दिया उन्हें भारत रत्न से सम्मानित करना उनकी समाज और मानवता के प्रति निःस्वार्थ सेवा और समर्पण का सम्मान होगा जिसके लिए भगत जी ने अपने जीवन की आखरी सांस तक संघर्ष ही नहीं किया बल्कि दीन दुखी, बेसहारा लोगों की सेवा के लिए समाज को प्रेरित भी किया। जैसा कि विदित है कि वैटिकन ने इसी प्रकार की सेवाओं के लिए मदर टेरेसा को सन्त की उपाधि एवं भारत सरकार ने भारत रत्न से सम्मानित किया था, ऐसे में भगत पूर्ण सिंह जी का जीवन एवं मानवता के प्रति उनकी निःस्वार्थ सेवा किसी भी मायने में मदर टेरेसा से कमतर नहीं। भगत पूर्ण सिंह जी ने अमृतसर में पिंगलवाडा की स्थापना कर असंख्य विकलांगों, लावारिस, अपंग आदि जैसे समाज के दबे कुचले लोगों की बिना किसी भेद भाव, धर्म, जाति की परवाह किए बिना निःस्वार्थ भाव से सेवा की, उनका सम्पूर्ण जीवन निःस्वार्थ सेवा के तमाम उदाहरणों एवं घटनाओं से भरा है। उनकी इन्ही सेवाओं का सम्मान करते हुए 1992 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था, ऐसे में भगत जी को भारत रत्न से सम्मानित कर उनकी मानवता के प्रति सेवाओं का सही मायनों में मूल्यांकन किया जा सकता है। भगत पूर्ण सिंह जी का जीवन नई पीढी को निःस्वार्थ सेवा के लिए आगे आने के लिए प्रेरित करता रहेगा ।
देश मदर टेरेसा के बारे में बहुत कुछ जानता है परन्तु राजनीतिक कारणों वश पिंगलवाडा एवं भगत पूर्ण सिंह जी के बारे में अनभिज्ञ से हैं, भगत जी गरीब दलित परिवार में जन्मे और परंतु मानवता के सेवा कार्यों में साधनों के आभावों को कभी आड़े नहीं आने दिया, 1947 में देश के विभाजन के समय जब धार्मिक आधार पर धुव्रीकरण हो चुका था उस समय भगत पूर्ण सिंह जी ने गली गली घूम कर पीड़ित बेसहारा लोगों की मदद की, कुछ दिव्यांग, अपंग मरीजों के साथ उन्होंने पिंगलवाडा की स्थापना की जहां असंख्य दिव्यांग, अपंग, निराश्रित, अभावग्रस्त, बीमार लोगों को शरण मिली भगत पूर्ण सिंह जी ने पिंगलवाडा की स्थापना में किसी की कोई मदद नहीं ली सुखद और विशेष बात यह रही कि मानवता की सेवा करते उन्होंने किसी का धर्म परिवर्तन नहीं कराया।
जाने अनजाने पूर्व की सरकारें भगत पूर्ण सिंह जी की सेवाओं का मूल्यांकन एवं सम्मान करने में असफल ही नहीं अक्षम भी साबित हुई है, ऐसे में भगत पूर्ण सिंह जी की मानवता के प्रति उनकी निःस्वार्थ सेवाओं का सम्मान करते हुए उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया जाय तो यह हमारी उस महान शख्सियत को सच्ची श्रद्धांजलि एवं वर्षों पुरानी त्रुटि सुधार भी होगी।
पत्र की प्रतिलिपि राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र भाई मोदी, केन्द्रीय मंत्री सरदार हरदीप सिंह पुरी, अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन सरदार इकबाल सिंह लालपुरा, उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ़्ट. जनरल गुरमीत सिंह, पूर्व प्रधानमन्त्री डा. मनमोहन सिंह, लोक सभा एवं राज्य सभा में सिख संसद सदस्य, पंजाब भाजपा अध्यक्ष सुनील जाखड़, कैप्ट. अमरिंदर सिंह, अकाली दल संयुक्त के अध्यक्ष सरदार सुखदेव सिंह ढींढसा, शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष पंजाब के पूर्व उप मुख्यमंत्री सरदार सुखबीर सिंह बादल आदि को भी भेजी गई है।