श्रोताओं के सिर चढ़कर बोला उम्दा शायरी का जादू
– ग़ालिब जयंती पर मित्रमंच फाउण्डेशन, सोनभद्र ने आयोजित किया अपना 21वाँ सालाना मुशायरा, कवि सम्मेलन
सोनभद्र/31.12.2023 –
मशहूर शायर मिर्ज़ा ग़ालिब की जयंती के मौके पर मित्रमंच फाउण्डेशन, सोनभद्र द्वारा 27 दिसंबर, 2023 को 21वें मुशायरा एवं कवि सम्मेलन का आयोजन होटल अरिहंत के हॉल में किया गया। इस मुशायरे एवं कवि सम्मेलन में देश भर के नामचीन शायरों, कवियों एवं कवयित्रियों ने एक से बढ़कर एक ग़ज़ल पढ़कर श्रोताओं से ख़ूब वाहवाही लूटी। मुशायरा शाम 8.30 बजे रात्रि से शुरू होकर 1.30 बजे तक चला। मुशायरे का आगाज मित्रमंच के संरक्षक-द्वय दया सिंह और उमेश जालान ने ग़ालिब की तस्वीर पर माल्यार्पण कर शम्मा रोशन की रस्म अदा की। इसके बाद मित्रमंच के अध्यक्ष विकास वर्मा ‘‘बाबा‘‘ एवं कार्यकारिणी के सदस्यों विनोद कुमार चौबे, रामप्रसाद यादव, संदीप चौरसिया ने शायरों एवं कवि-कवयित्रियों का माल्यार्पण कर बैैज लगाते हुए उन्हें स्मृति चिह्न भेंट किये।
कार्यक्रम की अध्यक्षता शायर जावेद आसी ने की एवं मंच संचालन हसन सोनभद्री ने किया। मुशायरा एवं कवि सम्मेलन की शुरुआत श्रुति भट्टाचार्य ने सरस्वती वंदना से की। इसके उपरांत जावेद आसी ने ग़ालिब की ग़ज़ल ‘‘हर एक बात पे कहते हो तुम कि तूं क्या है‘‘ पढ़कर मुशायरे का सिलसिला आगे बढ़ाया।
श्रोताओं ने सभी शायरों, कवि-कवियत्री की ग़ज़लों, नज़्मों और गीतों को मंत्रमुग्ध होकर सुना और भरपूूर वाह-वाही की।
देवबंद से आए शायर जावेद आसी ने कहा-
‘‘विरासतों की ज़िदों में मकान टूट गए।
इन आँधियों में कई खानदान टूट गए।।‘‘
विकास वर्मा ‘‘बाबा‘‘ ने कहा-
‘‘कमबख्त ज़िन्दगी से हर कोई पश्त है।
क्यों जीतने से पहले मिलती शिकस्त है ।।‘‘
जो अंधेरों में किया करते है चेहरा काला।
उनकों होना ही है बदनाम सुब्हो होने तक।।–
हसन सोनभद्री ने कहा-
‘‘किसी मछली को पानी से निकालो,
मेरी चाहत का अंदाज़ा लगा लो।‘‘
अगर बेदाग हो तो चांद कैसा।
मेरे किरदार में खामी निकालो।।‘‘
पंडित प्रेम बरेलवी ने कहा-
‘‘दौर कोई भी हो मुश्किल हुई शरीफ़ों को,
ज़िन्दगी ज़ालिमों की शानदार गुज़री है।‘‘
डॉ. सरफराज़ नवाज़ ने कहा-
‘‘बिस्तर पे करवटें मैं बदल क्यों नहीं रहा,
इक दर्द का चराग़ था जल क्यों नहीं रहा।‘‘
पंकज त्यागी ‘‘असीम‘‘ ने कहा-
‘‘अगर लड़की अकेली शहर में जाने से डर जाए।
तो बेहतर है कि हाकिम ख़ुद ही कुर्सी से उतर जाए।।‘‘
दानिश जैदी ने कहा-
‘‘ख़त्म ये ता-सहर नहीं होता।
ज़िक्र ये मुख़्तसर नहीं होता।‘‘
डॉ. शाद मशरिक़ी ने कहा-
‘‘शरीफ़ों से कहो काँधा लगाएँ
शराफत का जनाज़ा जा रहा है।‘‘
मनमोहन मिश्र ने कहा-
‘‘जो मेरे गीतों का इक-इक पेज है।
दर्द का मेरे वो दस्तावेज़ है।।‘‘
श्रुति भट्टाचार्य ने कहा-
‘‘तवायफ़ से बुरी निकली सियासत
भरी महफ़िल में नंगी हो गई थी।‘‘
डॉ. जसप्रीत कौर ‘‘फ़लक‘‘ ने कहा-
‘‘फ़िक्र-ओ-फन की मैं इक नाज़ुक डाली हूँ।
चढ़ते सूरज की मैं पहली लाली हूँ।।‘‘
मेरी गजलों मे है कशिश मुहब्बत की,
मै साहिर के शहर की रहने वाली हॅॅू।।‘‘
अंत में मित्रमंच फाउण्डेशन, सोनभद्र के अध्यक्ष विकास वर्मा ‘‘बाबा‘‘ ने देश भर से आए हुए सभी शायरों, कवि-कवयित्रियों एवं श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा आज का मंच कौमी एकता कि शानदार मिसाल रहा, जिसमें पंजाब की खुशबू ,बंगाल का जादू, महाराष्ट्र की रंगत,दिल्ली की नजाकत,उत्तराखण्ड की सदाकत और यूपी की संगत एक साथ मौजूद थी कहते हुए मुशायरे एवं कवि सम्मेलन की महफ़िल को अगले साल तक के लिए मुल्तवी किया।
कार्यक्रम में मित्रमंच फाउण्डेशन के संरक्षक राधेश्याम बंका एवं मित्रमंच फाउण्डेशन के सभी पदाधिकारियों और सदस्यों में उमेश जालान, संदीप चौरसिया, हजरत अली, रामप्रसाद यादव, मुरली अग्रवाल, अशोक श्रीवास्तव, अमित वर्मा, विनोद कुमार चौबे, आलोक वर्मा, ज्ञानेंद्र राय, धीरेंद्र अग्रहरि, संतोष वर्मा, राजेश सोनी, डॉ. गोविंद यादव, इसरार अहमद, फ़िरोज ख़ान, एम.डी. असलम आदि सहयोगी, समाजसेवी एवं कार्यकर्ता उपस्थित रहे।