
बच्चों को वक्त से पहले बड़ा कर रहे फूहड़ आइटम सांग और अश्लील फ़िल्में : ठाकुर संजीव कुमार सिंह
कम उम्र में बच्चे के भावनात्मक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाती हैं अश्लील हरकतें : डॉ उमेश शर्मा
बच्चों को गलत संगीत, फूहड़ फिल्मों के संपर्क को रोकने में माता-पिता का नियंत्रण महत्वपूर्ण : अरविन्द पुष्कर एडवोकेट
यह चिंता का विषय हैं, बिना समझे नकल शुरू कर देते हैं बच्चे, प्रभावित होता हैं उनका नैतिक विकास : पंकज जैन
आगरा/संघोल-टाइम्स/संजय साग़र सिंह/19 अक्टूबर,2024 – आजकल बॉलीबुड के फूहड़ आइटम सांग, अश्लील फ़िल्में, बेह्द गंदे दृष्य, अश्लील भाषा और ऐसी अन्य दूसरी बातें बच्चों के मन पर बहुत बुरा असर डाल रही हैं। इससे बच्चों का नैतिक विकास प्रभावित हो रहा है, और बच्चे बिना कुछ समझे नकल करना शुरू कर देते हैं। जिससे वे समय से पहले बड़े हो रहे हैं। जो उनके मानसिक विकास के लिए हानिकारक हो सकता है। यह विचार ठाकुर संजीव कुमार सिंह एडवोकेट, डॉ उमेश शर्मा, अरविन्द पुष्कर एडवोकेट और पंकज जैन ने बाल मनोवैज्ञानिक और पेरेंटिंग काउंसलरों के अनुसार प्रकाश में आएं बॉलीबुड की फूहड़ता से छोटे बच्चों के भावनात्मक स्वास्थ्य एवं नैतिक विकास पर पड़ते हानिकारक असर को देते हुए राष्ट्रहित और समाजहित में व्यक्त किये।
बच्चों को वक्त से पहले बड़ा कर रहे फूहड़ आइटम सांग और अश्लील फ़िल्में : ठाकुर संजीव कुमार सिंह
बच्चे टीवी पर फ़िल्मी,आइटम सांग और अन्य फूहड़ गाने देखते हैं। इसका असर उनके दिमाग पर हो रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार इनके चलते बच्चे वक्त से पहले बड़े हो रहे हैं। बाल मनोवैज्ञानिक और पेरेंटिंग काउंसलरों का इस गंभीर विषय पर कहना हैं कि बच्चों का नैतिक विकास गलत गीतों से बहुत प्रभावित होता है और बच्चे बिना समझे नकल करना शुरू कर देते हैं। एक डॉक्टर के पास एक बच्ची आई। वह पहले कुछ डांस रियलिटी शो में ऑडिशन देने गई थी। सात साल की बच्ची ने अपने शरीर की एक ऐसी छवि बनाना शुरू कर दिया जो हर लड़की के पास होनी चाहिए। वह अपने सीने पर कागज की गेंदें रखती थीं, ताकि बढ़े हुए ब्रेस्ट दिखें जो बच्चों में नहीं होते। यह समझने की जरूरत है कि इस तरह के फूहड़ गाने और फ़िल्में बच्चे के दिमाग को गहराई से प्रभावित कर सकते हैं। यह चिंता का विषय हैं, वह यह नहीं जान पाते कि उम्र के अनुसार क्या उनके लिए ठीक है और क्या नहीं? इससे बच्चों का नैतिक विकास प्रभावित हो रहा है, जो उनके मानसिक विकास के लिए हानिकारक हो सकता है। ठाकुर संजीव कुमार सिंह राष्ट्रीय नेता कांग्रेस एआइसीसी एवं एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ इंडिया।
कम उम्र में बच्चे के भावनात्मक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाती हैं अश्लील हरकतें : डॉ उमेश शर्मा
हमें यह देखकर बहुत बुरा लगता है कि छोटे बच्चे अश्लील हरकतें करते हैं और बड़ों को यह प्यारा लगता है। इसमें कुछ भी प्यारा नहीं है। यह कम उम्र में बच्चे के भावनात्मक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है। बॉलीबुड के फूहड़ आइटम सांग, अश्लील दृश्य, अश्लील भाषा बच्चों के मन पर हानिकारक असर पड़ता हैं। लेकिन आजकल देखा जाता हैं कि बहुत से माता-पिता को बच्चों के ऐसे फूहड़ गाने पर डांस करने में कुछ गलत नहीं दिखता, जो उनकी उम्र को देखते हुए ठीक नहीं हैं। घर में या पार्टी के दौरान जब ऐसे गाने बजाए जाते हैं तो बच्चे भी उसपर डांस करते हैं। वयस्क इसे नजरअंदाज कर देते हैं। ध्यान नहीं देते कि इसका बच्चों के दिमाग पर क्या असर होगा? हालांकि यह समझने की जरूरत है कि इस तरह के फूहड़ गाने बच्चे के दिमाग को गहराई से प्रभावित कर सकते हैं। डॉ उमेश शर्मा, चेयरमेन अपराध निरोधक समिति लखनऊ उत्तर प्रदेश।
बच्चों के फूहड़ संगीत, अश्लील फ़िल्मों के संपर्क को रोकने में माता-पिता का नियंत्रण महत्वपूर्ण : अरविन्द पुष्कर एडवोकेट
देखा गया हैं कि कुछ माता-पिता अधिक लापरवाही बरतते हैं। ऐसा करने से बच्चों पर गहरा असर पड़ सकता है। दुख की बात ये है कि समय पर देख-रेख ना मिलने के कारण बच्चों को ग़लत आदतें हो गई, माता-पिता को अपने बच्चों के आस-पास मोबाइल फोन के इस्तेमाल के बारे में बेह्द सावधान रहने की जरूरत है। स्क्रीन पर ज़्यादा समय बिताना अनजाने में उनमें मोबाइल की लत को भी बढ़ावा दे सकता है, खासकर तब जब माता-पिता बिना सोचे-समझे रील देखने में मशगूल रहते हैं। माता-पिता नियंत्रण के साथ लापरवाही न बरतें। उन्हें समझने और उनके सामने आने वाली बातों को समझने में मदद करने के लिए मार्गदर्शन की जरूरत होती है। बच्चों के गलत संगीत, फ़िल्म के संपर्क को रोकने में माता-पिता का नियंत्रण महत्वपूर्ण है। बच्चों को समय और दे,साथ ही पारिवारिक छुट्टियों के दौरान अपने बच्चों के साथ छुट्टियां बिताने के बारे में सोचें, ठीक वैसे ही जैसे इंटरनेट के आने से पहले के दिनों में किया जाता था। क्योकि बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए खुद को रचनात्मक रूप से तलाशना और अभिव्यक्त करना महत्वपूर्ण है। अरविन्द कुमार पुष्कर, अधिवक्ता दीवानी कचहरी आगरा।
यह चिंता का विषय हैं, बिना समझे नकल शुरू कर देते हैं बच्चे, प्रभावित होता हैं उनका नैतिक विकास : पंकज जैन
जिन माता-पिता की इच्छा स्टेज पर प्रदर्शन करने की होती है और ऐसा नहीं कर पाते वे अपने बच्चों के माध्यम से अपने सपनों को जीने की कोशिश करते हैं। बिना यह समझे या सोचे कि यह उनकी उम्र के हिसाब से सही है या नहीं? यह चिंता का विषय है। फूहड़ गाने और फ़िल्में बच्चों के लिए ठीक नहीं हैं। खासकर अगर उनमें हिंसा, ड्रग्स, सेक्स, अश्लील भाषा या ऐसी दूसरी बातें दिखाई गईं आपत्तिजनक बातें एवं फूहड़ता से छोटे बच्चों के भावनात्मक स्वास्थ्य एवं नैतिक विकास पर हानिकारक असर पड़ता हैं। छोटे मासूम बच्चे बिना समझे उन गीतों की नकल शुरू कर सकते हैं। बच्चे ऐसे गीतों के शब्दों के मतलब पूछने लगते हैं। माता-पिता उचित जवाब नहीं दे पाते हैं तो बच्चे अपने दोस्तों या अन्य लोगों से पूछेंगे। उन्हें गलत जानकारी मिल सकती है। इससे बच्चे बहुत जल्द प्रभावित होते हैं। गलत तरह के गीतों को सुनने और देखने से उनमें ऐसे व्यवहार को बढ़ावा मिलता है, जिसे संभालने के लिए छोटे बच्चे भावनात्मक रूप से तैयार नहीं हैं। वास्तविकता और कल्पना के बीच अंतर करने की उनकी क्षमता पर असर पड़ता है। उनका नैतिक विकास प्रभावित होता है। पंकज जैन, समाजसेवी एवं समाजिक चिंतक।