शहीद उधम सिंह का बलिदान राष्ट्रभक्ति, साहस और आत्मबलिदान का अनुपम उदाहरण – मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी
सिरसा में उधम सिंह शहीदी दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने की पंचकूला में कम्बोज सभा को प्लॉट देने की घोषणा
हिसार के गाँव बाड़ा सुलेमान का नाम उधमपुरा करने की घोषणा
मुख्यमंत्री ने नागरिकों का किया आह्वान, राष्ट्र की एकता व नव-निर्माण के लिए मिलकर काम करने का लें संकल्प, यही शहीदों को होगी सच्ची श्रद्धांजलि

चंडीगढ़/संघोल-टाइम्स/हरमिंदर-नागपाल/31 जुलाई,2025- हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी ने शहीद उधम सिंह जी के शहीदी दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में उनका बलिदान राष्ट्रभक्ति, साहस और आत्मबलिदान का अप्रतिम उदाहरण है। उधम सिंह जी ने भारत माता की आज़ादी के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। ‘जंग-ए-आजादी’ के इतिहास में आज भी उनका नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। आज का दिन हमें प्रेरणा देता है कि हम भी उनके आदर्शों को आत्मसात कर राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाएं।
मुख्यमंत्री वीरवार को सिरसा में मुख्य धाम बाबा भूमणशाह जी (संगर सरिस्ता) में शहीद उधम सिंह के शहीदी दिवस पर आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने पंचकूला में कम्बोज सभा को प्लॉट देने की घोषणा की। साथ ही, फतेहाबाद, कैथल और जगाधरी में प्लॉट लेने हेतु सभा द्वारा आवेदन करने उपरांत उन्हें प्राथमिकता के आधार पर प्लॉट प्रदान किया जाएगा। इसके आलावा, मुख्यमंत्री ने हिसार के गाँव बाड़ा सुलेमान का नाम उधमपुरा करने की भी घोषणा की।
बाबा भूमण शाह मुख्य धाम की भूमि पर उनके नाम से राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय एवं अस्पताल का निर्माण करवाने की मांग पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इसकी फिजिबिलिटी चैक करवाकर इसे पूरा करने का काम किया जाएगा। इसके अलावा, घग्गर नदी से रंगोई नाला निकालकर गांव रामपुरा ढाणी से गुजरता हुआ बनाया जाने की मांग पर मुख्यमंत्री ने इसकी फिजिबिलिटी चेक करवा कर पूरा करवाने की घोषणा की। ओबीसी वर्ग में क्लास-1 व क्लास- 2 श्रेणी की नौकरियों में आरक्षण की मांग पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बारे ओबीसी आयोग को अवगत करा कर लागू कराने का काम किया जाएगा। इनके अलावा, अन्य मांगों को संबंधित विभागों में फिजिबिलिटी चैक करवाने हेतु भेजा जाएगा।
शहीद उधम सिंह ने असत्य, अन्याय और शोषण के विरुद्ध किया संघर्ष
श्री नायब सिंह सैनी ने राष्ट्र नायक शहीद उधम सिंह जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि शहीद उधम सिंह जी ने असत्य, अन्याय और शोषण के विरुद्ध संघर्ष करते हुए आज के ही दिन वर्ष 1940 में शहादत पाई। उनकी कुर्बानी ने आजादी के लिए देशवासियों में एक नई जागृति पैदा की। उन्होंने कहा कि इतिहास इस बात का गवाह है कि उधम सिंह, सरदार भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, चंद्रशेखर आजाद तथा मदन लाल ढींगड़ा जैसे अनेक देशभक्तों ने भारत माँ की गुलामी की जंजीरों को तोड़ने के लिए कांटों भरा रास्ता चुना और उस पर चलकर कुर्बानियां देने का इतिहास रचा।
उन्होंने कहा कि जब उधम सिंह जी केवल 20 वर्ष के थे, तो 13 अप्रैल, 1919 को जलियांवाला बाग की हृदय विदारक घटना ने उनके दिल और दिमाग पर गहरा आघात किया। उस जलसे में उधम सिंह वहां इकट्ठे हुए लोगों की पानी पिलाकर सेवा कर रहे थे। उस नरसंहार को देखकर वे स्तब्ध रह गये और उसी क्षण उधम सिंह ने जलियांवाला बाग की शहीदी मिट्टी को अपने माथे पर लगाकर यह प्रण किया कि वह इस कत्लेआम का बदला जरूर लेंगे। इस महान सपूत ने अपनी मातृभूमि के अपमान और निर्दोष लोगों के खून का बदला लेने के लिए उस साम्राज्यवादी ताकत से उसी की भूमि पर टक्कर ली, जिसके साम्राज्य में सूर्य कभी अस्त नहीं होता था। उन्होंने देशवासियों के समक्ष राष्ट्र-भक्ति, त्याग और बलिदान की एक अनूठी मिसाल कायम की, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देती रहेगी।
उन्होंने कहा कि उधम सिंह ने 13 मार्च, 1940 को लंदन के कैस्टन हाल में माइकल ओ. डायर को गोली मार कर उस खूनी कांड का बदला लिया था। 5 जून, 1940 को केन्द्रीय आपराधिक अदालत ओल्ड वेली में उन्हें मृत्युदंड की सजा सुनाई गई और 31 जुलाई, 1940 को लंदन में पेंटोनविल जेल में उधम सिंह को फांसी दे दी गई।
उन्होंने कहा कि अमर शहीद उधम सिंह जी की तरह अनेक वीरों ने आजादी के लिए अपने प्राण न्योछावर किये थे। देश से अंग्रेजी शासन को खत्म करना और देश के हर नागरिक का कल्याण व उत्थान उनका सपना था। उनके सपनों को साकार करने के लिए सरकार का प्रयास रहा है कि सभी वर्गों के लोग आगे बढ़ें, सभी का उत्थान हो और सभी को बराबर के हक मिलें। इस दिशा में सरकार ने विकास के लाभ उन लोगों तक पहुंचाने के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं, जो किन्हीं कारणों से पिछड़े रह गये हैं।
1857 के सेनानियों की स्मृति संजोने के लिए अंबाला में बनाया जा रहा युद्ध स्मारक
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम अपने शहीदों के बलिदानों का कर्ज तो नहीं चुका सकते, लेकिन उनके प्रति अपनी कृतज्ञता अवश्य जता सकते हैं। इसी उद्देश्य से 1857 के सेनानियों को नमन करने तथा उनकी स्मृति को चिरस्थायी बनाए रखने के लिए अंबाला में युद्ध स्मारक का निर्माण कराया जा रहा है। यह स्मारक नई पीढ़ियों को उन महान सेनानियों जैसी देशभक्ति अपनाने की प्रेरणा देता रहेगा। सरकार ने स्वतंत्रता सेनानियों व उनकी विधवाओं की पेंशन 25 हजार रुपये से बढ़ाकर 40 हजार रुपये मासिक की है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सबका साथ-सबका विकास की भावना से पिछड़े वर्गों का भी विशेष ध्यान रखा है। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिलाया है। केन्द्रीय मंत्रिपरिषद में ओ.बी.सी. का अब तक का सबसे ज्यादा प्रतिनिधित्व है। ओ.बी.सी. को मेडिकल एजुकेशन, केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय और सैनिक स्कूलों में आरक्षण मिलता है।
उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार ने भी प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में पिछड़े वर्गों के कल्याण व उत्थान के लिए अनेक कदम उठाए हैं। पंचायती राज संस्थाओं में पिछड़ा वर्ग (ए) को 8 प्रतिशत व पिछड़ा वर्ग (बी) को 5 प्रतिशत आरक्षण और पंच पद के लिए उनकी जनसंख्या के 50 प्रतिशत के अनुपात में आरक्षण दिया गया है। शहरी स्थानीय निकायों में भी पिछड़ा वर्ग बी को मेयर / प्रधान के पदों में 5 प्रतिशत तथा सदस्यों के लिए सम्बंधित पालिका में उनकी जनसंख्या के 50 प्रतिशत के अनुपात में आरक्षण दिया गया है। एक लाख 80 हजार रुपये तक वार्षिक आय वाले परिवारों की लड़कियों के विवाह हेतु 51,000 रुपये की राशि दी जाती है।
सभी नागरिक राष्ट्र की एकता व नव-निर्माण के लिए मिलकर काम करने का लें संकल्प
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार शहीदों के सपनों को साकार करने के लिए निरंतर काम कर रही है। शहीदों के संघर्ष, त्याग और कुर्बानी से मिली आजादी की अमूल्य धरोहर को हमें सम्भाल कर रखना है। शहीद सदा अमर रहते हैं। मुख्यमंत्री ने आह्वान किया कि आज शहीदी दिवस के अवसर पर हम सभी राष्ट्र की एकता और अखंडता की रक्षा तथा राष्ट्र व प्रदेश के नव-निर्माण के लिए मिलकर काम करने का संकल्प लें।
युवा शहीदों से प्रेरणा लें और सच्चे देशभक्त बनकर राष्ट्र की सेवा करें – बाबा ब्रह्म दास
इस अवसर पर डेरा बाबा भूमणशाह जी के गद्दीनशीन बाबा ब्रह्म दास ने मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी का स्वागत करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री दिन रात जन सेवा के लिए तत्पर रहते हैं और हर वर्ग के कल्याण व उत्थान के लिए कार्य कर रहे हैं। बाबा ब्रह्म दास ने युवाओं से आह्वान किया कि वे देश के शहीदों से प्रेरणा लें, अच्छे संस्कार अपनाएं और सच्चे देशभक्त बनकर राष्ट्र की सेवा करें। उन्होंने कहा कि युवा ही देश का भविष्य हैं। जिस प्रकार शहीदों ने हमें स्वतंत्रता की खुली हवा में सांस लेने का अवसर दिया, उसी प्रकार हमें भी देश की रक्षा और प्रगति में अपना योगदान देना होगा।
बाबा ब्रह्म दास ने नशे के खिलाफ आवाज उठाते हुए उपस्थित जनसमूह से आह्वान किया कि हम सब मिलकर इस सामाजिक बुराई को जड़ से समाप्त करेंगे। जब तक नशा समाप्त नहीं होगा, तब तक हमारा प्रयास जारी रहेगा।
इस अवसर पर स्वामी ब्रह्मानंद जी, श्री महेश मुनी जी, महंत गोमती दास जी, महंत सागर नाथ जी, जर्मनी के सांसद श्री राहुल कम्बोज, उड़ीसा के पूर्व राज्यपाल प्रो. गणेशीलाल, पूर्व मंत्री श्री सुभाष सुधा, पूर्व मंत्री श्री करण देव कम्बोज, पूर्व सांसद श्रीमती सुनीता दुग्गल, पूर्व विधायक श्री दुड़ा राम सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
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ਸ਼ਹੀਦ ਊਧਮ ਸਿੰਘ ਦੀ ਕੁਰਬਾਨੀ ਦੇਸ਼ ਭਗਤੀ, ਹਿੰਮਤ ਅਤੇ ਆਤਮ ਬਲੀਦਾਨ ਦੀ ਇੱਕ ਅਨੋਖੀ ਉਦਾਹਰਣ – ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਨਾਇਬ ਸਿੰਘ ਸੈਣੀ
ਸਿਰਸਾ ਵਿੱਚ ਊਧਮ ਸਿੰਘ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦਿਵਸ ‘ਤੇ ਆਯੋਜਿਤ ਇੱਕ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਵਿੱਚ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਨੇ ਪੰਚਕੂਲਾ ਵਿੱਚ ਕੰਬੋਜ ਸਭਾ ਨੂੰ ਇੱਕ ਪਲਾਟ ਦੇਣ ਦਾ ਐਲਾਨ ਕੀਤਾ।
ਹਿਸਾਰ ਦੇ ਪਿੰਡ ਬਾਰਾ ਸੁਲੇਮਾਨ ਦਾ ਨਾਮ ਬਦਲ ਕੇ ਊਧਮਪੁਰਾ ਰੱਖਣ ਦਾ ਐਲਾਨ ਕਰਦਿਆਂ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਨੇ ਨਾਗਰਿਕਾਂ ਨੂੰ ਰਾਸ਼ਟਰ ਦੀ ਏਕਤਾ ਅਤੇ ਪੁਨਰ ਨਿਰਮਾਣ ਲਈ ਇਕੱਠੇ ਕੰਮ ਕਰਨ ਦਾ ਪ੍ਰਣ ਲੈਣ ਦਾ ਸੱਦਾ ਦਿੱਤਾ, ਇਹ ਸ਼ਹੀਦਾਂ ਨੂੰ ਸੱਚੀ ਸ਼ਰਧਾਂਜਲੀ ਹੋਵੇਗੀ।
ਚੰਡੀਗੜ੍ਹ/ਸੰਘੋਲ-ਟਾਈਮਜ਼/ਹਰਮਿੰਦਰ-ਨਾਗਪਾਲ/ਜਗਮੀਤ-ਸਿੰਘ/31ਜੁਲਾਈ,2025– ਹਰਿਆਣਾ ਦੇ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਸ੍ਰੀ ਨਾਇਬ ਸਿੰਘ ਸੈਣੀ ਨੇ ਸ਼ਹੀਦ ਊਧਮ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੂੰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦਿਵਸ ‘ਤੇ ਸ਼ਰਧਾਂਜਲੀ ਭੇਟ ਕਰਦਿਆਂ ਕਿਹਾ ਕਿ ਭਾਰਤ ਦੀ ਆਜ਼ਾਦੀ ਦੀ ਲੜਾਈ ਵਿੱਚ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਕੁਰਬਾਨੀ ਦੇਸ਼ ਭਗਤੀ, ਹਿੰਮਤ ਅਤੇ ਆਤਮ ਬਲੀਦਾਨ ਦੀ ਇੱਕ ਬੇਮਿਸਾਲ ਉਦਾਹਰਣ ਹੈ। ਊਧਮ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ਭਾਰਤ ਮਾਤਾ ਦੀ ਆਜ਼ਾਦੀ ਲਈ ਸਭ ਕੁਝ ਕੁਰਬਾਨ ਕਰ ਦਿੱਤਾ। ਅੱਜ ਵੀ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਨਾਮ ‘ਜੰਗ-ਏ-ਆਜ਼ਾਦੀ’ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿੱਚ ਸੁਨਹਿਰੀ ਅੱਖਰਾਂ ਵਿੱਚ ਲਿਖਿਆ ਗਿਆ ਹੈ। ਅੱਜ ਦਾ ਦਿਨ ਸਾਨੂੰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਆਦਰਸ਼ਾਂ ਨੂੰ ਗ੍ਰਹਿਣ ਕਰਨ ਅਤੇ ਰਾਸ਼ਟਰ ਨਿਰਮਾਣ ਵਿੱਚ ਸਰਗਰਮ ਭੂਮਿਕਾ ਨਿਭਾਉਣ ਲਈ ਪ੍ਰੇਰਿਤ ਕਰਦਾ ਹੈ। ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਵੀਰਵਾਰ ਨੂੰ ਸਿਰਸਾ ਦੇ ਮੁੱਖ ਧਾਮ ਬਾਬਾ ਭੂਮਣਸ਼ਾਹ ਜੀ (ਸੰਗਰ ਸਰਿਸਟਾ) ਵਿਖੇ ਸ਼ਹੀਦ ਊਧਮ ਸਿੰਘ ਦੇ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦਿਵਸ ‘ਤੇ ਆਯੋਜਿਤ ਸਮਾਗਮ ਨੂੰ ਸੰਬੋਧਨ ਕਰ ਰਹੇ ਸਨ। ਇਸ ਮੌਕੇ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਨੇ ਪੰਚਕੂਲਾ ਵਿੱਚ ਕੰਬੋਜ ਸਭਾ ਨੂੰ ਪਲਾਟ ਦੇਣ ਦਾ ਐਲਾਨ ਕੀਤਾ। ਨਾਲ ਹੀ, ਸਭਾ ਵੱਲੋਂ ਫਤਿਹਾਬਾਦ, ਕੈਥਲ ਅਤੇ ਜਗਾਧਰੀ ਵਿੱਚ ਪਲਾਟਾਂ ਲਈ ਅਰਜ਼ੀ ਦੇਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪਹਿਲ ਦੇ ਆਧਾਰ ‘ਤੇ ਪਲਾਟ ਦਿੱਤੇ ਜਾਣਗੇ। ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ, ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਨੇ ਹਿਸਾਰ ਦੇ ਪਿੰਡ ਬਾਰਾ ਸੁਲੇਮਾਨ ਦਾ ਨਾਮ ਬਦਲ ਕੇ ਊਧਮਪੁਰਾ ਰੱਖਣ ਦਾ ਵੀ ਐਲਾਨ ਕੀਤਾ। ਮੁੱਖ ਧਾਮ ਦੀ ਜ਼ਮੀਨ ‘ਤੇ ਬਾਬਾ ਭੂਮਣ ਸ਼ਾਹ ਦੇ ਨਾਮ ‘ਤੇ ਸਰਕਾਰੀ ਆਯੁਰਵੈਦਿਕ ਕਾਲਜ ਅਤੇ ਹਸਪਤਾਲ ਬਣਾਉਣ ਦੀ ਮੰਗ ‘ਤੇ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਇਸਦੀ ਵਿਵਹਾਰਕਤਾ ਦੀ ਜਾਂਚ ਕੀਤੀ ਜਾਵੇਗੀ ਅਤੇ ਇਸਨੂੰ ਪੂਰਾ ਕਰਨ ਲਈ ਕੰਮ ਕੀਤਾ ਜਾਵੇਗਾ। ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ, ਘੱਗਰ ਨਦੀ ਵਿੱਚੋਂ ਰੰਗੋਈ ਨਾਲਾ ਕੱਢ ਕੇ ਇਸਨੂੰ ਪਿੰਡ ਰਾਮਪੁਰਾ ਢਾਣੀ ਵਿੱਚੋਂ ਲੰਘਾਉਣ ਦੀ ਮੰਗ ‘ਤੇ, ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਨੇ ਇਸਦੀ ਵਿਵਹਾਰਕਤਾ ਦੀ ਜਾਂਚ ਕਰਵਾਉਣ ਅਤੇ ਇਸਨੂੰ ਪੂਰਾ ਕਰਨ ਦਾ ਐਲਾਨ ਕੀਤਾ। ਓਬੀਸੀ ਸ਼੍ਰੇਣੀ ਵਿੱਚ ਕਲਾਸ-1 ਅਤੇ ਕਲਾਸ-2 ਸ਼੍ਰੇਣੀ ਦੀਆਂ ਨੌਕਰੀਆਂ ਵਿੱਚ ਰਾਖਵੇਂਕਰਨ ਦੀ ਮੰਗ ‘ਤੇ, ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਇਸ ਬਾਰੇ ਓਬੀਸੀ ਕਮਿਸ਼ਨ ਨੂੰ ਸੂਚਿਤ ਕਰਕੇ ਇਸਨੂੰ ਲਾਗੂ ਕਰਨ ਲਈ ਕੰਮ ਕੀਤਾ ਜਾਵੇਗਾ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ, ਹੋਰ ਮੰਗਾਂ ਸਬੰਧਤ ਵਿਭਾਗਾਂ ਨੂੰ ਸੰਭਾਵਨਾ ਜਾਂਚ ਲਈ ਭੇਜੀਆਂ ਜਾਣਗੀਆਂ। ਸ਼ਹੀਦ ਊਧਮ ਸਿੰਘ ਨੇ ਝੂਠ, ਬੇਇਨਸਾਫ਼ੀ ਅਤੇ ਸ਼ੋਸ਼ਣ ਵਿਰੁੱਧ ਲੜਾਈ ਲੜੀ। ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਨਾਇਕ ਸ਼ਹੀਦ ਊਧਮ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੂੰ ਸ਼ਰਧਾਂਜਲੀ ਭੇਟ ਕਰਦਿਆਂ ਸ਼੍ਰੀ ਨਾਇਬ ਸਿੰਘ ਸੈਣੀ ਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਸ਼ਹੀਦ ਊਧਮ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ 1940 ਵਿੱਚ ਅੱਜ ਦੇ ਦਿਨ ਝੂਠ, ਬੇਇਨਸਾਫ਼ੀ ਅਤੇ ਸ਼ੋਸ਼ਣ ਵਿਰੁੱਧ ਲੜਦੇ ਹੋਏ ਸ਼ਹਾਦਤ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੀ ਸੀ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਕੁਰਬਾਨੀ ਨੇ ਦੇਸ਼ ਵਾਸੀਆਂ ਵਿੱਚ ਆਜ਼ਾਦੀ ਲਈ ਇੱਕ ਨਵੀਂ ਜਾਗ੍ਰਿਤੀ ਪੈਦਾ ਕੀਤੀ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਕਿਹਾ ਕਿ ਇਤਿਹਾਸ ਇਸ ਗੱਲ ਦਾ ਗਵਾਹ ਹੈ ਕਿ ਊਧਮ ਸਿੰਘ, ਸਰਦਾਰ ਭਗਤ ਸਿੰਘ, ਰਾਜਗੁਰੂ, ਸੁਖਦੇਵ, ਚੰਦਰਸ਼ੇਖਰ ਆਜ਼ਾਦ ਅਤੇ ਮਦਨ ਲਾਲ ਢੀਂਗਰਾ ਵਰਗੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਦੇਸ਼ ਭਗਤਾਂ ਨੇ ਭਾਰਤ ਮਾਤਾ ਦੀ ਗੁਲਾਮੀ ਦੀਆਂ ਜ਼ੰਜੀਰਾਂ ਨੂੰ ਤੋੜਨ ਲਈ ਕੰਡਿਆਲਾ ਰਸਤਾ ਚੁਣਿਆ ਅਤੇ ਇਸ ‘ਤੇ ਚੱਲ ਕੇ ਆਪਣੀਆਂ ਜਾਨਾਂ ਕੁਰਬਾਨ ਕਰਕੇ ਇਤਿਹਾਸ ਰਚਿਆ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਕਿਹਾ ਕਿ ਜਦੋਂ ਊਧਮ ਸਿੰਘ ਜੀ ਸਿਰਫ਼ 20 ਸਾਲ ਦੇ ਸਨ, ਤਾਂ 13 ਅਪ੍ਰੈਲ 1919 ਨੂੰ ਜਲ੍ਹਿਆਂਵਾਲਾ ਬਾਗ ਦੀ ਦਿਲ ਦਹਿਲਾ ਦੇਣ ਵਾਲੀ ਘਟਨਾ ਨੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਦਿਲ ਅਤੇ ਦਿਮਾਗ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਠੇਸ ਪਹੁੰਚਾਈ। ਉਸ ਇਕੱਠ ਵਿੱਚ ਊਧਮ ਸਿੰਘ ਉੱਥੇ ਇਕੱਠੇ ਹੋਏ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਪਾਣੀ ਪਿਲਾ ਕੇ ਸੇਵਾ ਕਰ ਰਹੇ ਸਨ। ਉਹ ਉਸ ਕਤਲੇਆਮ ਨੂੰ ਦੇਖ ਕੇ ਹੈਰਾਨ ਰਹਿ ਗਿਆ ਅਤੇ ਉਸੇ ਪਲ ਊਧਮ ਸਿੰਘ ਨੇ ਜਲ੍ਹਿਆਂਵਾਲਾ ਬਾਗ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਮਿੱਟੀ ਆਪਣੇ ਮੱਥੇ ‘ਤੇ ਰੱਖ ਕੇ ਸਹੁੰ ਖਾਧੀ ਕਿ ਉਹ ਇਸ ਕਤਲੇਆਮ ਦਾ ਬਦਲਾ ਜ਼ਰੂਰ ਲਵੇਗਾ। ਆਪਣੀ ਮਾਤ ਭੂਮੀ ਦੇ ਅਪਮਾਨ ਅਤੇ ਮਾਸੂਮ ਲੋਕਾਂ ਦੇ ਖੂਨ ਦਾ ਬਦਲਾ ਲੈਣ ਲਈ, ਇਸ ਮਹਾਨ ਪੁੱਤਰ ਨੇ ਸਾਮਰਾਜਵਾਦੀ ਸ਼ਕਤੀ ਵਿਰੁੱਧ ਆਪਣੀ ਹੀ ਧਰਤੀ ‘ਤੇ ਲੜਾਈ ਲੜੀ, ਜਿਸ ਦੇ ਸਾਮਰਾਜ ਵਿੱਚ ਸੂਰਜ ਕਦੇ ਡੁੱਬਦਾ ਨਹੀਂ ਸੀ। ਉਸਨੇ ਦੇਸ਼ ਵਾਸੀਆਂ ਸਾਹਮਣੇ ਦੇਸ਼ ਭਗਤੀ, ਕੁਰਬਾਨੀ ਅਤੇ ਆਤਮ-ਨਿਰਭਰਤਾ ਦੀ ਇੱਕ ਵਿਲੱਖਣ ਉਦਾਹਰਣ ਪੇਸ਼ ਕੀਤੀ, ਜੋ ਆਉਣ ਵਾਲੀਆਂ ਪੀੜ੍ਹੀਆਂ ਨੂੰ ਪ੍ਰੇਰਿਤ ਕਰਦੀ ਰਹੇਗੀ। ਉਸਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਊਧਮ ਸਿੰਘ ਨੇ 13 ਮਾਰਚ, 1940 ਨੂੰ ਲੰਡਨ ਦੇ ਕੈਸਲ ਹਾਲ ਵਿੱਚ ਮਾਈਕਲ ਓ. ਡਾਇਰ ਨੂੰ ਗੋਲੀ ਮਾਰ ਕੇ ਉਸ ਖੂਨੀ ਘਟਨਾ ਦਾ ਬਦਲਾ ਲਿਆ ਸੀ। 5 ਜੂਨ 1940 ਨੂੰ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਸੈਂਟਰਲ ਕ੍ਰਿਮੀਨਲ ਕੋਰਟ, ਓਲਡ ਵੈਲੀ ਵਿੱਚ ਮੌਤ ਦੀ ਸਜ਼ਾ ਸੁਣਾਈ ਗਈ ਅਤੇ 31 ਜੁਲਾਈ 1940 ਨੂੰ ਊਧਮ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਲੰਡਨ ਦੀ ਪੈਂਟਨਵਿਲ ਜੇਲ੍ਹ ਵਿੱਚ ਫਾਂਸੀ ਦਿੱਤੀ ਗਈ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਕਿਹਾ ਕਿ ਅਮਰ ਸ਼ਹੀਦ ਊਧਮ ਸਿੰਘ ਜੀ ਵਾਂਗ, ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਨਾਇਕਾਂ ਨੇ ਆਜ਼ਾਦੀ ਲਈ ਆਪਣੀਆਂ ਜਾਨਾਂ ਕੁਰਬਾਨ ਕੀਤੀਆਂ ਸਨ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਸੁਪਨਾ ਦੇਸ਼ ਤੋਂ ਬ੍ਰਿਟਿਸ਼ ਸ਼ਾਸਨ ਦਾ ਅੰਤ ਕਰਨਾ ਅਤੇ ਦੇਸ਼ ਦੇ ਹਰ ਨਾਗਰਿਕ ਦੀ ਭਲਾਈ ਅਤੇ ਉੱਨਤੀ ਨੂੰ ਯਕੀਨੀ ਬਣਾਉਣਾ ਸੀ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸੁਪਨਿਆਂ ਨੂੰ ਸਾਕਾਰ ਕਰਨ ਲਈ, ਸਰਕਾਰ ਇਹ ਯਕੀਨੀ ਬਣਾਉਣ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਕਰ ਰਹੀ ਹੈ ਕਿ ਸਾਰੇ ਵਰਗਾਂ ਦੇ ਲੋਕ ਅੱਗੇ ਵਧਣ, ਸਾਰਿਆਂ ਦਾ ਉੱਨਤੀ ਹੋਵੇ ਅਤੇ ਸਾਰਿਆਂ ਨੂੰ ਬਰਾਬਰ ਅਧਿਕਾਰ ਮਿਲਣ। ਇਸ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿੱਚ, ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਵਿਕਾਸ ਦੇ ਲਾਭ ਉਨ੍ਹਾਂ ਲੋਕਾਂ ਤੱਕ ਪਹੁੰਚਾਉਣ ਲਈ ਕਈ ਠੋਸ ਕਦਮ ਚੁੱਕੇ ਹਨ ਜੋ ਕੁਝ ਕਾਰਨਾਂ ਕਰਕੇ ਪਛੜੇ ਰਹਿ ਗਏ ਹਨ। 1857 ਦੇ ਯੋਧਿਆਂ ਦੀ ਯਾਦ ਨੂੰ ਸੁਰੱਖਿਅਤ ਰੱਖਣ ਲਈ ਅੰਬਾਲਾ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਜੰਗੀ ਯਾਦਗਾਰ ਬਣਾਈ ਜਾ ਰਹੀ ਹੈ। ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਅਸੀਂ ਆਪਣੇ ਸ਼ਹੀਦਾਂ ਦੀਆਂ ਕੁਰਬਾਨੀਆਂ ਦਾ ਕਰਜ਼ ਤਾਂ ਨਹੀਂ ਚੁਕਾ ਸਕਦੇ, ਪਰ ਅਸੀਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਪ੍ਰਤੀ ਆਪਣੀ ਸ਼ੁਕਰਗੁਜ਼ਾਰੀ ਜ਼ਰੂਰ ਪ੍ਰਗਟ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹਾਂ। ਇਸ ਮਕਸਦ ਲਈ, 1857 ਦੇ ਯੋਧਿਆਂ ਨੂੰ ਸਲਾਮ ਕਰਨ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਯਾਦ ਨੂੰ ਹਮੇਸ਼ਾ ਜ਼ਿੰਦਾ ਰੱਖਣ ਲਈ ਅੰਬਾਲਾ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਜੰਗੀ ਯਾਦਗਾਰ ਬਣਾਈ ਜਾ ਰਹੀ ਹੈ। ਇਹ ਯਾਦਗਾਰ ਨਵੀਂ ਪੀੜ੍ਹੀ ਨੂੰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਮਹਾਨ ਯੋਧਿਆਂ ਵਾਂਗ ਦੇਸ਼ ਭਗਤੀ ਅਪਣਾਉਣ ਲਈ ਪ੍ਰੇਰਿਤ ਕਰਦੀ ਰਹੇਗੀ। ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਆਜ਼ਾਦੀ ਘੁਲਾਟੀਆਂ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਵਿਧਵਾਵਾਂ ਦੀ ਪੈਨਸ਼ਨ 25 ਹਜ਼ਾਰ ਰੁਪਏ ਤੋਂ ਵਧਾ ਕੇ 40 ਹਜ਼ਾਰ ਰੁਪਏ ਪ੍ਰਤੀ ਮਹੀਨਾ ਕਰ ਦਿੱਤੀ ਹੈ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਕਿਹਾ ਕਿ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਸ਼੍ਰੀ ਨਰਿੰਦਰ ਮੋਦੀ ਨੇ ਵੀ ਸਬਕਾ ਵਿਕਾਸ ਦੀ ਭਾਵਨਾ ਨਾਲ ਪਛੜੇ ਵਰਗਾਂ ਦਾ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਧਿਆਨ ਰੱਖਿਆ ਹੈ। ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਨੇ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਪਛੜੇ ਵਰਗ ਕਮਿਸ਼ਨ ਨੂੰ ਸੰਵਿਧਾਨਕ ਦਰਜਾ ਦਿੱਤਾ ਹੈ। ਕੇਂਦਰੀ ਮੰਤਰੀ ਪ੍ਰੀਸ਼ਦ ਵਿੱਚ ਓਬੀਸੀ ਦੀ ਅੱਜ ਤੱਕ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਪ੍ਰਤੀਨਿਧਤਾ ਹੈ। ਓਬੀਸੀ ਨੂੰ ਮੈਡੀਕਲ ਸਿੱਖਿਆ, ਕੇਂਦਰੀ ਵਿਦਿਆਲਿਆ, ਨਵੋਦਿਆ ਵਿਦਿਆਲਿਆ ਅਤੇ ਸੈਨਿਕ ਸਕੂਲਾਂ ਵਿੱਚ ਰਾਖਵਾਂਕਰਨ ਮਿਲਦਾ ਹੈ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਕਿਹਾ ਕਿ ਹਰਿਆਣਾ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਦੇ ਮਾਰਗਦਰਸ਼ਨ ਵਿੱਚ ਪਛੜੇ ਵਰਗਾਂ ਦੇ ਕਲਿਆਣ ਅਤੇ ਉੱਨਤੀ ਲਈ ਵੀ ਕਈ ਕਦਮ ਚੁੱਕੇ ਹਨ। ਪੰਚਾਇਤੀ ਰਾਜ ਸੰਸਥਾਵਾਂ ਵਿੱਚ, ਓਬੀਸੀ (ਏ) ਨੂੰ 8 ਪ੍ਰਤੀਸ਼ਤ ਅਤੇ ਓਬੀਸੀ (ਬੀ) ਨੂੰ 5 ਪ੍ਰਤੀਸ਼ਤ ਰਾਖਵਾਂਕਰਨ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ਅਤੇ ਪੰਚ ਅਹੁਦੇ ਲਈ ਰਾਖਵਾਂਕਰਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਆਬਾਦੀ ਦੇ 50 ਪ੍ਰਤੀਸ਼ਤ ਦੇ ਅਨੁਪਾਤ ਵਿੱਚ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਹੈ। ਸ਼ਹਿਰੀ ਸਥਾਨਕ ਸੰਸਥਾਵਾਂ ਵਿੱਚ ਵੀ, ਓਬੀਸੀ ਬੀ ਨੂੰ ਮੇਅਰ/ਪ੍ਰਧਾਨ ਦੇ ਅਹੁਦੇ ‘ਤੇ ਅਤੇ ਸਬੰਧਤ ਨਗਰਪਾਲਿਕਾ ਵਿੱਚ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਆਬਾਦੀ ਦੇ 50 ਪ੍ਰਤੀਸ਼ਤ ਦੇ ਅਨੁਪਾਤ ਵਿੱਚ ਮੈਂਬਰਾਂ ਲਈ 5 ਪ੍ਰਤੀਸ਼ਤ ਰਾਖਵਾਂਕਰਨ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਹੈ। 1.8 ਲੱਖ ਰੁਪਏ ਤੱਕ ਦੀ ਸਾਲਾਨਾ ਆਮਦਨ ਵਾਲੇ ਪਰਿਵਾਰਾਂ ਦੀਆਂ ਲੜਕੀਆਂ ਦੇ ਵਿਆਹ ਲਈ 51,000 ਰੁਪਏ ਦੀ ਰਕਮ ਦਿੱਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ। ਸਾਰੇ ਨਾਗਰਿਕਾਂ ਨੂੰ ਰਾਸ਼ਟਰ ਦੀ ਏਕਤਾ ਅਤੇ ਪੁਨਰ ਨਿਰਮਾਣ ਲਈ ਇਕੱਠੇ ਕੰਮ ਕਰਨ ਦਾ ਪ੍ਰਣ ਲੈਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ। ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਸਰਕਾਰ ਸ਼ਹੀਦਾਂ ਦੇ ਸੁਪਨਿਆਂ ਨੂੰ ਸਾਕਾਰ ਕਰਨ ਲਈ ਨਿਰੰਤਰ ਕੰਮ ਕਰ ਰਹੀ ਹੈ। ਸਾਨੂੰ ਸ਼ਹੀਦਾਂ ਦੇ ਸੰਘਰਸ਼, ਕੁਰਬਾਨੀ ਅਤੇ ਸ਼ਹਾਦਤ ਰਾਹੀਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੀ ਆਜ਼ਾਦੀ ਦੀ ਅਨਮੋਲ ਵਿਰਾਸਤ ਨੂੰ ਸੰਭਾਲਣਾ ਹੋਵੇਗਾ। ਸ਼ਹੀਦ ਹਮੇਸ਼ਾ ਅਮਰ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ। ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਨੇ ਅਪੀਲ ਕੀਤੀ ਕਿ ਅੱਜ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦਿਵਸ ਦੇ ਮੌਕੇ ‘ਤੇ, ਸਾਨੂੰ ਸਾਰਿਆਂ ਨੂੰ ਰਾਸ਼ਟਰ ਦੀ ਏਕਤਾ ਅਤੇ ਅਖੰਡਤਾ ਦੀ ਰੱਖਿਆ ਕਰਨ ਅਤੇ ਰਾਸ਼ਟਰ ਅਤੇ ਰਾਜ ਦੇ ਪੁਨਰ ਨਿਰਮਾਣ ਲਈ ਇਕੱਠੇ ਕੰਮ ਕਰਨ ਦਾ ਪ੍ਰਣ ਲੈਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ। ਨੌਜਵਾਨਾਂ ਨੂੰ ਸ਼ਹੀਦਾਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰੇਰਨਾ ਲੈਣੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਸੱਚੇ ਦੇਸ਼ ਭਗਤ ਬਣ ਕੇ ਰਾਸ਼ਟਰ ਦੀ ਸੇਵਾ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ – ਬਾਬਾ ਬ੍ਰਹਮਾ ਦਾਸ ਇਸ ਮੌਕੇ ਡੇਰਾ ਬਾਬਾ ਭੂਮਣਸ਼ਾਹ ਜੀ ਦੇ ਉਤਰਾਧਿਕਾਰੀ ਬਾਬਾ ਬ੍ਰਹਮਾ ਦਾਸ ਨੇ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਸ੍ਰੀ ਨਾਇਬ ਸਿੰਘ ਸੈਣੀ ਦਾ ਸਵਾਗਤ ਕਰਦੇ ਹੋਏ ਕਿਹਾ ਕਿ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਦਿਨ-ਰਾਤ ਲੋਕਾਂ ਦੀ ਸੇਵਾ ਲਈ ਹਮੇਸ਼ਾ ਤਿਆਰ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਹਰ ਵਰਗ ਦੀ ਭਲਾਈ ਅਤੇ ਉੱਨਤੀ ਲਈ ਕੰਮ ਕਰ ਰਹੇ ਹਨ। ਬਾਬਾ ਬ੍ਰਹਮਾ ਦਾਸ ਨੇ ਨੌਜਵਾਨਾਂ ਨੂੰ ਦੇਸ਼ ਦੇ ਸ਼ਹੀਦਾਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰੇਰਨਾ ਲੈਣ, ਚੰਗੀਆਂ ਕਦਰਾਂ-ਕੀਮਤਾਂ ਅਪਣਾਉਣ ਅਤੇ ਸੱਚੇ ਦੇਸ਼ ਭਗਤ ਬਣ ਕੇ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਸੇਵਾ ਕਰਨ ਦਾ ਸੱਦਾ ਦਿੱਤਾ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਕਿਹਾ ਕਿ ਨੌਜਵਾਨ ਦੇਸ਼ ਦਾ ਭਵਿੱਖ ਹਨ। ਜਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸ਼ਹੀਦਾਂ ਨੇ ਸਾਨੂੰ ਆਜ਼ਾਦੀ ਦੀ ਖੁੱਲ੍ਹੀ ਹਵਾ ਵਿੱਚ ਸਾਹ ਲੈਣ ਦਾ ਮੌਕਾ ਦਿੱਤਾ, ਉਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸਾਨੂੰ ਵੀ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਰੱਖਿਆ ਅਤੇ ਤਰੱਕੀ ਵਿੱਚ ਯੋਗਦਾਨ ਪਾਉਣਾ ਪਵੇਗਾ। ਬਾਬਾ ਬ੍ਰਹਮ ਦਾਸ ਨੇ ਨਸ਼ਿਆਂ ਵਿਰੁੱਧ ਆਵਾਜ਼ ਬੁਲੰਦ ਕੀਤੀ ਅਤੇ ਹਾਜ਼ਰ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਸੱਦਾ ਦਿੱਤਾ ਕਿ ਇਕੱਠੇ ਹੋ ਕੇ ਅਸੀਂ ਇਸ ਸਮਾਜਿਕ ਬੁਰਾਈ ਨੂੰ ਜੜ੍ਹ ਤੋਂ ਖਤਮ ਕਰਾਂਗੇ। ਸਾਡੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਉਦੋਂ ਤੱਕ ਜਾਰੀ ਰਹੇਗੀ ਜਦੋਂ ਤੱਕ ਨਸ਼ਾ ਖਤਮ ਨਹੀਂ ਹੋ ਜਾਂਦਾ। ਇਸ ਮੌਕੇ ਸਵਾਮੀ ਬ੍ਰਹਮਾਨੰਦ ਜੀ, ਸ਼੍ਰੀ ਮਹੇਸ਼ ਮੁਨੀ ਜੀ, ਮਹੰਤ ਗੋਮਤੀ ਦਾਸ ਜੀ, ਮਹੰਤ ਸਾਗਰ ਨਾਥ ਜੀ, ਜਰਮਨੀ ਦੇ ਸੰਸਦ ਸ਼੍ਰੀ ਰਾਹੁਲ ਕੰਬੋਜ, ਉੜੀਸਾ ਦੇ ਸਾਬਕਾ ਗਵਰਨਰ ਪ੍ਰੋ: ਗਣੇਸ਼ੀਲਾਲ, ਸਾਬਕਾ ਮੰਤਰੀ ਸ਼੍ਰੀ ਸੁਭਾਸ਼ ਸੁਧਾ, ਸਾਬਕਾ ਮੰਤਰੀ ਸ਼੍ਰੀ ਕਰਨ ਦੇਵ ਕੰਬੋਜ, ਸਾਬਕਾ ਸੰਸਦ ਸ਼੍ਰੀਮਤੀ ਸੁਨੀਤਾ ਦੁੱਗਲ, ਸਾਬਕਾ ਵਿਧਾਇਕ ਸ਼੍ਰੀ ਦੂਦਾ ਰਾਮ ਅਤੇ ਹੋਰ ਵੀ ਹਾਜ਼ਰ ਸਨ।