गौरी शंकर सेवादल गौशाला सैकटर 45 डी चंडीगढ़ में श्री गोवर्धन पर्वत की गई

चंडीगढ़/SANGHOL-TIMES(हरमिंदर नागपाल)25OCT,2025-आज गौरी शंकर सेवादल गौशाला सैक्टर 45 डी चंडीगढ़ की तरफ से भगवान साक्षात गोविंद स्वरूप के रूप में श्री गोवर्धन पर्वत का पूजन एवं अन्न कूट बड़े ही हर्षोल्लास एवं उत्सव के साथ गौशाला में मनाया गया और गोवर्धन जी की वेद मित्रों द्वारा पूजन और आरती की गई इस शुभ अवसर पर गौरीशंकर सेवादल के गौशाला के सदस्य रमेश कुमार शर्मा सुमित शर्मा एवं विनोद कुमार रजनीश रामपाल दिलीप रावत लाखीराम मनोहर लाल सैनी बताएं कि आज बहुत बड़ा उत्सव एवं खुशी का दिन है क्योंकि आज के दिन ही भगवान साक्षात श्री कृष्ण जी ने ब्रज वासियों को मूसलाधार वर्षा से बचने के लिए सात दिन सात रात्रि तक यहां गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उंगली पर उठा कर रखा था और कृष्ण के आशीर्वाद से सभी बृजवासी गोप गोपिकाए गोवर्धन की छत्रछाया से सुखपूर्वक रहे गौशाला के प्रबंधक विनोद कुमार ने बताया की पिछले कई वर्षों से गोवर्धन पर्वत एवं अन्नकूट का विशाल भंडारा लगाया जा रहा है क्योंकि देवराज इंद्र को अभिमान हो गया था और इंद्र का अभिमान तोड़ने के लिए लिए भगवान साक्षात श्री कृष्ण जी ने स्वयं लीलाधारी श्री हरि विष्णु की जो अवतार थे प्रभु ने एक लीला रची गिरधारी रूप में और देखा कि सभी बृजवासी अपने-अपने घरों में उत्तम पकवान बना रहे हैं प्रभु ने सभी से पूछा कि आप यहां पकवान किसके लिए बना रहे हैं मैया यशोदा जी ने कहा लल्ला यह पकवान हम देवराज इंद्र की पूजा की तैयारी कर रहे हैं मैया के ऐसा ही कहने पर श्री कृष्णा बोलिए मैया हम इंद्र की पूजा क्यों करते हैं मैया यशोदा ने कहा कि यह इंद्र वर्षा करते हैं जिससे अन्न की उपज उपजाऊ होती है और उनसे हमारी गायों को चारा मिलता है भगवान श्री कृष्ण बोले हमें तो गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए क्योंकि हमारी गोमाता वहीं चरती है वहीं से ही भोजन प्राप्त हमारी गायों को होता है इस दृष्टि से भगवान पर्वत ही पूजनीय है और इंद्र तो कभी दर्शन भी नहीं देते वह पूजा न करने पर क्रोधित होते हैं इतना बड़ा अभियान इंद्र के पास है हम सबको इंद्र के स्थान पर गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए और इसी कारण देवराज इंद्र ने इसे अपना अपमान समझा और मूसलाधार वर्षा आरंभ कर दी प्रलय काल के समान वर्षा देकर सभी बृजवासी भगवान कृष्ण को कोसने लगी कि सब इनका कहना हमको मानना पड़ा तभी मुरलीधरी ने मुरली कमर पर डाली और अपनी छोटी कनिष्ठका उंगली पर पूरा गोवर्धन पर्वत 7 दिन 7 रात्रि को उठाया तभी सभी बृजवासियों को उसमें अपने गए और बछड़े समेत शरण लेने के लिए बुलाया और तभी से ही प्रभु की यहां गोवर्धन पर्वत की पूजा होती है और आज सभी भक्तजनों गोभक्त जनों ने गौशाला में आकर गोवर्धन पर्वत की पूजन किया एवं अन्नकूट का भंडारा ग्रहण करके भगवान साक्षात परब्रह्म परमेश्वर श्री कृष्ण भगवान एवं साक्षात गौ माता का आशीर्वाद प्राप्त किया गया
