हिमाचल भाजपा के अहम किरदार पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के राजनीतिक कैरियर पर एक नजर
जो कल तक बांटते थे टिकट आज बेटिकट हो गये
SangholTimes/धर्मशाला/21अक्टूबर,2022/विजयेन्दरशर्मा) – राजनीति में वक्त बदलते देर नहीं लगती। यही बात हिमाचल भाजपा के अहम किरदार पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल पर उनके राजनैतिक कैरियर पर लगे विराम के बाद सटीक बैठती नजर आ रही हे। हिमाचल भाजपा के अहम शिल्पकार जिस तरीके से भाजपा की सियासत से बाहर हुये हैं। उसे देखकर हर कोई हैरान है। हालांकि कुछ माह पहले धूमल ठोक बजाकर कहते रहे कि वह इस बार चुनाव लडेंगे। प्रधानमंत्री मोदी के हिमाचल दौरे के दौरान जिस गर्मजोशी के साथ मोदी और धूमल मिले थे, उसे देखकर धूमल और उनके समर्थकों की उम्मीदों को पंख लग गये थे। लेकिन मंगलवार की रात धूमल के लिए मनहूस रात साबित हुई , कोर कमेटी की बैठक से पहले ही उन्हें बता दिया गया कि पार्टी उनके चुनाव लडने के हक में नहीं है। यही वजह रही कि धूमल बैठक में शामिल ही नहीं हुये।
राजनिति का यह सबसे बेरहम पहलू ही है कि जो कल तक दूसरों को टिकट बांटते थे, आज खुद बेटिकट हो गये। इसी के साथ उनके चालीस साल लंबे राजनैतिक कैरियर पर एक तरह से विराम लग गया है। धूमल को राजनिति में लाने वाले शांता कुमार है। उस समय धूमल जालंधर के दोआबा कॉलेज में पढाते थे। लेकिन राजनिति उन्हें रास आई और हिमाचल लौट आये। शांता कुमार उस दौर में ठाकुर जगदेव चंद से परेशान थे। लेकिन बाद में जगदेव चंद के निधन के बाद नरेन्द्र मोदी हिमाचल प्रभारी बने , तो उनकी शांता कुमार से पटडी नहीं बैठी , तो उन्होंने प्रेम कुमार धूमल को इस तरह आगे बढाया कि मोदी के आर्शीवाद से धूमल के प्रभाव के आगे शांता कुमार प्रदेश की राजनिति से हाशिये पर चले गये। उस समय का ज्वालामुखी कांड आज तक लोग भूले नहीं होंगे।
यहीं से हिमाचल में धूमल राज की शुरूआत हुई। और गुटबाजी को भी नई हवा मिली। लेकिन धूमल अपना दबदबा कायम करने में हर बार कामयाब रहे। इसी दौर में एक ऐसा भी वक्त आया, जब प्रेम कुमार धूमल के प्रभाव की वजह से सुरेश चंदेल को पार्टी से बाहर होना पडा और धूमल के बेटे अनुराग ठाकुर की एंट्री हो गई। उसी दौर में धूमल की वजह से ही जगत प्रकाश नड्डा को राष्टरीय राजनिति में शिफट होना पडा। धूमल सरकार में नड्डा स्वास्थय मंत्री थे। लेकिन उन्हें केबिनेट से हटा दिया गया और राजीव बिंदल स्वास्थय स्वास्थय मंत्री बने। यहीं से धूमल और नड्डा की आपसी कशमकश भी शुरू हो गई। नड्डा राश्टरीय अध्यक्ष बने, तो प्रदेश संगठन में नड्डा के करीबी लोग हावी होने लगे। लेकिन 2017 के चुनावों में धूमल की राजनिति में उस समय नया मोड आया , जब धूमल खुद सुजानपुर से चुनाव हार गये। हालांकि उस समय वह हमीरपुर से टिकट चाह रहे थे। यहां दिलचस्प बात यह है कि धूमल को चुनाव में हराने वाले राजेन्दर राणा धूमल के ही खास करीबी थे। मौजूदा चुनावों में धूमल को चुनावी राजनिति से बाहर रखने के पीछे पार्टी में गुटबाजी को पूरी तरह विराम लगाना प्रमुख वजह माना जा रहा है।७ अब तय हो गया है कि प्रदेश में आने वाले दिनों में भाजपा में राष्टरीय अध्यक्ष जे.पी नड्डा का ही दबदबा रहेगा।
भारतीय जीवन बीमा निगम में सहायक के तौर पर अपने कॅरियर की शुरुआत करने वाले हिमाचल प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रहे प्रेम कुमार धूमल का जन्म 10 अप्रैल, 1944 को हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले में हुआ। 2017 के हिमाचल विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के लिए हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के उम्मीदवार बनाए गए थे। लेकिन वो अपनी सीट हार गए थे। प्रेम कुमार धूमल इससे पहले दो बार मार्च 1998 से मार्च 2003 तक और फिर 1 जनवरी 2008 से 25 दिसंबर 2012 तक हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
1982 में प्रेम कुमार धूमल भारतीय जनता युवा मोर्चा के उपाध्यक्ष चुने गए। 1984 में हिमाचल प्रदेश के विधायक राज्य के दिग्गज नेता जगदेव चंद ने हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया तो धूमल को ये जिम्मेदारी मिली। धूमल वह चुनाव हार गए, लेकिन 1989 और 1991 में जीते। 1996 में उन्हें मेजर जनरल बिक्रम सिंह ने हराया था। 1993 में जगदेव चंद के असामयिक निधन के बाद प्रेम कुमार धूमल की राज्य की राजनीति में एंट्री होती है। 1993 से 1998 तक, वह हिमाचल प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष रहे। फिर आता है 1998 का साल जब मार्च के महीने में हुए हिमाचल प्रदेश विधान सभा में बामसन सीट से 18,000 वोटों से जीत दर्ज करने के साथ ही उन्हें सूबे का मुख्यमंत्री बनाया गया। उन्होंने 1998-2003 तक पूरे पांच साल का मुख्यमंत्री का कार्यकाल पूरा किया। लेकिन 2003 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत नहीं मिला और भाजपा ने केवल 16 सीटें हासिल कीं, तो प्रेम कुमार धूमल विपक्ष के नेता बनते हैं। धूमल के कार्यकाल के दौरान उन्होंने सड़कों के क्षेत्र में विशेष रूप से महत्वपूर्ण ढांचागत परियोजनाएं शुरू की। 2007 के उपचुनाव में हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र जीतने के बाद, धूमल ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा में अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उपचुनाव की नौबत इसलिए आई क्योंकि भाजपा सांसद सुरेश चंदेल को सवालों के बदले नकद घोटाले में शामिल होने के कारण निष्कासित कर दिया गया था। लेकिन आज सुरेश चंदेल भी भाजपा में वापिस आकर जे पी नड्डा के साथ ताल ठोंक रहे हैं।