पंजाब राज भवन ने मनाया सिक्किम स्थापना दिवस *
चंडीगढ़ वास्तव में भारत का एक छोटा रूप है – राज्यपाल व चंडीगढ़ के प्रशासक श्री बनवारी लाल पुरोहित
Sanghol Times/चंडीगढ़/17मई,2023/PIB –
शहर में विभिन्न सांस्कृतिक समुदायों के बीच राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए आज 16 मई को पंजाब राजभवन, चंडीगढ़ के परिसर में स्थित गुरु नानक देव सभागार में बड़े ही उत्साह और जोश के साथ सिक्किम स्थापना दिवस मनाया गया। इस आयोजन ने राज्य की समृद्ध विरासत और प्रगति का उत्सव मनाने के लिए शहर में रह रहे सिक्किम की गणमान्य शख्सियतों, सरकारी अधिकारियों और नागरिकों को एक साझा मंच प्रदान किया।
स्थापना दिवस का यह समारोह एक ऐसा अवसर था जिसने सिक्किम और चंडीगढ़ वासियों के बीच के बंधन को और मजबूत बनाया। यह आयोजन सिक्किम के निवासियों को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने, साथी नागरिकों के साथ मेलजोल बढ़ाने और समुदाय के बीच आपसी एकता और भाईचारे की भावना को मजबूत करने का एक मंच साबित हुआ।
इस आयोजन के दौरान पंजाब के राज्यपाल और केन्द्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासक श्री बनवारी लाल पुरोहित ने कहा कि मैं मेघालय में राज्यपाल भी रहा हूं। मैंने बहुत सी यात्राएं की हैं, बहुत सी जगह देखी हैं, बहुत से लोगों से मिला हूँ। उन्होंने कहा कि सिक्किम की सबसे बड़ी विशेषता जिसने मुझे बहुत प्रभावित किया वह यह है कि यहां के लोग बहुत ही मिलनसार और शांतिप्रिय हैं। उन्होंने कहा कि सिक्किम देश के सभी राज्यों में सबसे कम प्लास्टिक का कचरा पैदा करता है और वह इन उपलब्धियों के लिए सिक्किम के लोगों की सराहना करते हैं। स्वच्छता का यह मॉडल सभी देशवासियों के लिए अनुकरणीय है। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, पर्यटन और पर्यावरण संरक्षण सहित विभिन्न क्षेत्रों में राज्य द्वारा हासिल की गई उल्लेखनीय उपलब्धियों की सराहना की।
श्री पुरोहित ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के जीवन में स्वच्छता का इतना महत्व है कि उन्होंने ‘स्वच्छ भारत अभियान’ जैसे राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रमों की शुरुआत की।
इस अवसर पर बोलते हुए श्री पुरोहित ने कहा कि चंडीगढ़ एक जीवंत एवं विभिन्न समुदायों व संस्कृतियों का शहर है, जहां अलग-अलग क्षेत्रों के लोग एक-दूसरे के साथ मिलजुल कर रहते हैं। चंडीगढ़ वास्तव में भारत का एक छोटा रूप है जहां विभिन्न प्रदेशों के लोग सद्भाव से रहते हैं और भारत की विविधता में एकता की सच्ची तस्वीर पेश करते हैं।
उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह उत्सव अपने मूल राज्यों से दूर रहने वाले समुदायों में अपनेपन की भावना पैदा करेगा।
समारोह में सिक्किम की परंपराओं और विविधता को प्रदर्शित करती विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियां पेश की गईं। लोक नृत्य, मधुर संगीत और सिक्किम के कलाकारों द्वारा मनोरम प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया और उन्हें अपने ही राज्य में मौजूद होने का अनुभव कराया। कलात्मक प्रस्तुतियों ने सिक्किम की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और इसकी अनूठी पहचान को संरक्षित करने की प्रतिबद्धता की यादें ताज़ा कर दी।
1 मई को महाराष्ट्र और गुजरात का स्थापना दिवस भी इसी सभागार में मनाया गया था।
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