दो हज़ार का नोट बंद करने का फैसला अप्रत्यक्षित नोटबंदी – महिला कांग्रेस
जो ख़ुद अपने द्वारा छापा हुआ नोट 7 साल भी नही चला पाया, वो पूछता है कि 70 साल में देश के लिया कांग्रेस पार्टी ने क्या किया – दीपा दुबे
चंडीगढ़/22.05.2023/Harminder Nagpal – चंडीगढ़ महिला कांग्रेस अध्यक्ष दीपा दुबे ने दो हज़ार का नोट बंद करने के तरीके को अप्रत्यक्षित नोट बंदी करार दिया है l उन्होने कहां की शुक्रवार को इसकी अधिसूचना आती है साथ में यह भी कहां जा रहा की 30 सितम्बर तक जमा करा सकते है तब तक चल सकता है l दीपा ने कहा की अधिसूचना भी अक्सर आधी छुट्टी वाले शनिवार से ठीक एक दिन पहले आती है l जाहिर अशांकित जनता बैंक की तरफ भागने पर विवश कर दी गई l दीपा ने सवाल किया है की अधिसूचना में यह साफ किया जाता की अगर कोई सितम्बर के समय से पहले लीगल टेंडर नोट को लेने से इंकार कर देता है तो उस पर क्या कदम उठ सकते है l महिला कांग्रेस ने कहा की कम से कम जनता के बीच साफ संदेश तो जाना चाहिए था मोदी सरकार क्यों देश की जनता को क्यों गुमराह और परेशान करने में लगी हुई है सिर्फ और सिर्फ देश के बड़े पूंजी पतियों की सहायता करने में मोदी सरकार जुटी हुई है। अब जनता में भ्रम उत्पन्न हो गया है उन्होने कहां सबसे ज्यादा पीड़ा मध्यमवर्ग और निचले वर्ग की महिलाओं को सहन करने पढ़ रही है पहले भी नोटबंदी में महिलाओं ने अपने बच्चों और बच्चियों के लिए पैसे जुटाकर रखे थे ताकि वह अपने बच्चे और बच्चों के भविष्य में उनकी पढ़ाई और शादी के काम आ सके। निकले वर्ग और मध्यम वर्ग में मोदी सरकार के इस फैसले से बहुत रोष है कि फिर से मोदी सरकार ने आम नागरिकों ने जो पैसा अपने परिवार और अपने बच्चों के लिए जोड़ कर रखा है उसको फिर से दोबारा से 2000 के नोटों को बैंक में जमा कराने की लाइन में फिर से लाइन मां लगना पड़ेगा। दीपा ने कहा की जिन बच्चों की शादी के लिए उनके मां बाप ने पैसे इकट्ठे किए होंगे उन पर क्या बीतेगी। लोग 2000 के नोट लेने से कतरा ने लगे हैं
दुबे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद 2016 में नोटबंदी कर कर 500 और 2000 के नोट को चलाया था लेकिन क्या 7 साल में ही अपने ही 2000 के नोट से मोदी सरकार का विश्वास उठ गया। मोदी सरकार और भाजपा क्यों देश के नागरिकों के साथ विश्वासघात कर रही है
दीपा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब देश की नागरिकों को ही नहीं जो विदेश में देश के बच्चे पढ़ने गए हुए हैं उन पर भी 20% टैक्स अगर उनके मां-बाप देश से उनके लिए पैसे भेजेंगे उस पर लगाए जाएंगे सरकार द्वारा क्या यह कहां तक वाजिब है क्यों देश के बच्चों को उनके मां-बाप पहले की तरह पैसे नहीं भेज सकते। देश के भविष्य के लिए मोदी सरकार से अपील है कि जो सरकार द्वारा घोषणा 20% पैसों के ऊपर टैक्स की दी गई है उसको वापस लिया जाए देश का नागरिक हार साल टैक्स भरता है उसके बावजूद भी एक जुलाई से 20% प्रतिशत टैक्स विदेश में शिक्षा महंगी है उसके बावजूद अब अपने बच्चों को भेजने के लिए वैसे भी टैक्स देकर भेजने होंगे यह कहां तक वाजिब है।