
माइक्रोप्लास्टिक मनुष्य के प्रत्येक अंग में घुसा, प्लास्टिक के अति सूक्ष्म कण मनुष्य की प्रजनन क्षमता पर भी डाल रहे हैं प्रभाव – ओ पी सिहाग
पंचकूला/संघोल-टाइम्स/नागपाल/24जून,2024 – य़ह तो काफी सालों से सभी को ज्ञात है कि पॉलीथिन तथा प्लास्टिक संसार के सभी प्राणियों के स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है तथा इसके कारण मानव जाति, वन्य जीव जंतुओं सहित समुद्र के अंदर रहने वाले जीवों के जीवन पर भी खतरा मंडराने लगा है। इसने हमारे पर्यावरण को भी प्रदुषित कर दिया है । इस बारे चर्चा करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता एवं पीपल्स फ्रंट पंचकूला के अध्यक्ष ओ पी सिहाग ने कहा कि संसार भर के वैज्ञानिक लगातर पॉलीथिन तथा प्लास्टिक के अति अधिक प्रयोग से जनजीवन के ऊपर पड़ने वाले विनाशकारी प्रभाव बारे अनुसंधान कर रहे हैं। सिहाग ने बताया कि चीन तथा इटली के वैज्ञानिकों ने अपनी खोज में दावा किया है कि जो मनुष्य ज्यादा पॉलीथिन या प्लास्टिक का प्रयोग अपने खाने पीने के सामान की पैकिंग के लिए करते हैं या प्लास्टिक के बने बर्तनों में खाना खाते हैं या कोल्ड ड्रिंक एवं पानी पीते हैं या घरों में पीने के पानी के स्टोरेज के लिए प्लास्टिक की टंकी का प्रयोग करते हैं, उनके मस्तिष्क तथा ह्रदय एवं माँ के दूध में भी माइक्रोप्लास्टिक के अत्यंत सूक्ष्मकण मिले हैं जो कि स्वस्थ जिंदगी जीने के लिये बहुत ही हानिकारक है । सिहाग ने आगे बताया कि इन माइक्रोप्लास्टिक के सूक्ष्मकणों की ह्रदय तथा धमनियों में मौजूदगी के कारण मनुष्यों को दिल का दौरा तथा स्ट्रोक के जोखिम ज्यादा बढ़ जाते हैं।
ओ पी सिहाग ने कहा कि शोधकर्ताओं ने इस बारे पूरी स्टडी करके जो रिपोर्ट प्रस्तुत की है वो काफी चौकाने वाली है उस रिपोर्ट के मुताबिक माइक्रोप्लास्टिक के अति सूक्ष्मकण मनुष्यों के प्रजनन करने में सहायक अंगों में भी पाए गए हैं जो कि मनुष्य की प्रजनन क्षमता को नकारात्मक रूप से प्रभावित करेंगे। ओ पी सिहाग ने कहा कि प्लास्टिक के अति अधिक प्रयोग से जहां धरती पर मानव जाति को बेहद खतरा पैदा हो गया है वहीं इस ब्रम्हाण्ड में विचरने वाले हर जीव के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। इसके अत्यधिक प्रयोग ने नदियों, समुद्ररो में रहने वाले जीवों तथा धरती पर उगने वाले पेड़ पौधों एवं फसलों के लिए भी नया खतरा पैदा कर दिया है ।
ओपी सिहाग ने बताया कि हमारे
देश में हर रोज लगभग 25980 टन तथा पूरे साल में लगभग 34 लाख टन पॉलिथीन/ प्लास्टिक का कचरा पैदा होता है । जिसमें से केवल 60 प्रतिशत रीसाइक्लिंग के लिए प्रयोग होता है। बाकी का 40 प्रतिशत कचरा यू ही गलियों, नालियों, सडकों, नहरों, पार्क या खुले स्थानो, जंगलो, नदियों तथा समुद्र में फेंक दिया जाता है या बहा दिया जाता है। उन्होंने ने कहा कि सरकार द्वारा प्रतिबंधित पॉलीथिन तथा सिंगल यूज प्लास्टिक भी आमतौर बिना किसी रोक टोक के जनता,रेहड़ी फङी वालों या दुकानदारों द्वारा प्रयोग किया जाता है। सिहाग ने कहा कि अगर पंचकूला की बात करे तो यहां हर रोज लगभग 2.5 टन पॉलीथिन प्रयोग में लाया जाता है जिसमें ज्यादातर घटिया किस्म का प्रतिबंधित पॉलीथिन/प्लास्टिक होता है। उन्होंने कहा कि अगर हमे स्वस्थ जीवन जीना है तथा सारे संसार को इस विनाशकारी प्लास्टिक से बचाना है तो हमे इसके प्रयोग से बचना होगा, सरकार को भी जो कायदे कानून पॉलीथिन/प्लास्टिक का प्रयोग न करने बारे बनाए है ,जो प्रतिबंध लगाए हैं उनको सख्ती से बिना देरी किए लागू करना होगा।