संघर्ष का रास्ता तय करने वाली 10 माओं को राज्यपाल ने किया सम्मानित —
मदर्स डे के उपलक्ष्य में डॉ.जीसी मिश्रा मैमोरियल एजुकेशनल एंड चैरीटेबल ट्रस्ट की पहल
मानव मंगल स्मार्ट स्कूल में हुआ दसवां मां सम्मान समारोह, माओं के हौसले को सभी ने किया सलाम
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Sanghol Times/Gurjit Billa/10.05.2022/चंडीगढ़ – तमाम मुश्किलों या विपरीत परिस्थितियों में मजबूती से हर बाधा को पार करते हुए बहुत सी माएं अपने बच्चों को उनकी मंजिल तक पहुंचाती हैं। ऐसी ही 10 माओं को मंगलवार को मदर्स डे के मौके पर जब सम्मानित किया गया तो सभी ने उनके हौसले को सलाम किया। डॉ.जीसी मिश्रा मेमोरियल एजुकेशनल एवं चैरीटेबल ट्रस्ट और मानव मंगल स्मार्ट स्कूल की ओर से आयोजित दसवें मां सम्मान समारोह में सम्मानित हुई इन माओं के संघर्ष की कहानी सुन कर सभी की आंखें नम हो गईं। इस सम्मान समारोह में पंजाब के राज्यपाल व चंडीगढ़ के प्रशासक श्री बनवारी लाल पुरोहित ने रयात-बाहरा यूनिवर्सिटी, मोहाली के वाइस-चांसलर डॉ.परविंदर सिंह की मौजूदगी में माओं का सम्मान किया। समारोह में देश के अलग अलग हिस्सों से आईं माओं को सम्मानित किया गया। सभी माओं के संघर्ष की अलग अलग कहानी है। किसी ने विपरीत परिस्थितियों में तमाम चुनौतियां का सामना करते हुए अपने बेटे को वैज्ञानिक या डॉक्टर बनाया को किसी ने अपने लगातार संघर्ष करते हुए अपने बेटे या बेटी को हौसला देकर उसके सपने को पूरा किया।
स्कूल के सभागार में हुए इस सम्मान समारोह में समारोह की शुरुआत दीप प्रज्वलन के साथ हुई। इस दौरान स्कूल के छात्र-छात्राओं की प्रस्तुति ने सबका मन मोह लिया जिसमें दिखाया गया कि हर किसी के जीवन में मां का महत्व कितना होता है। इस प्रस्तुति को देखकर सबकी आंखें नम हो गई। इस मौके पर जिन 10 माओं का सम्मान किया उनमें उत्तर-प्रदेश के गाज़ीपुर की हेमवंती देवी, जयपुर की मूली देवी, पंचकूला की शारदा सैनी और सरोज, चंडीगढ़ की निर्मल मल्होत्रा, अनीता जायरा और शर्मिता भिंडर, जयपुर की अल्का त्रिवेदी तथा भदौड़ (बरनाला) की बलदेव कौर शामिल हैं।
वहीं, समारोह में चंडीगढ़ निवासी कुलवंती पाठक को छठा मदर ऑफ द ईयर पुरस्कार दिया गया। वह चाहे खुद ज्यादा पढ़ लिख नहीं सकीं, लेकिन उन्होंने सुनिश्चित किया बच्चों को पढ़ने में किसी तरह की दिक्कत न हो। वह अपने सभी पांच बच्चों को उनकी मंजिल तक पहुंचा पाईं। उनकी बड़ी बेटी दिल्ली के सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल के पद से रिटायर हुई हैं जबकि उनकी एक अन्य बेटी पंजाब यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं। उनकी तीसरी बेटी लखनऊ में डॉक्टर है। दो बेटे भी उच्च पदों पर कार्यरत हैं।
इस मौके पर पुरोहित ने आयोजकों के इस प्रयास की सराहना करते हुए सम्मानित होने वाली सभी माओं का अभिनंदन किया। उन्होंने कहा कि आजकल की युवा पीढ़ी चाहे अपनी मां को ‘मम्मी’ कह कर पुकारते हैं लेकिन जो प्यार और अपनापन मां कहने में है वह मम्मी कहने में नहीं है। उन्होंने कई उदाहरण देते हुए कहा कि पुत्र चाहे कपूत हो सकता है लेकिन मां कभी कुमाता नहीं होती है। हर मां अपने बच्चों के जीवन में रोल मॉडल होती हैं। माएँ बच्चों को प्यार, जीवन, शिक्षा, आत्मविश्वास देती हैं और उनके लिए ऐसी परिस्थितियाँ तैयार करती हैं जिनमें वे जीवन में उतार-चढ़ाव का सामना कर सकें। उन्होंने मातृशक्ति को सलाम करते हुए कहा कि आज हर क्षेत्र में लड़कियां आगे बढ़ रही हैं और बहुत से क्षेत्र तो ऐसे हैं जहां लड़कियों का ही बोलबाला है।
समारोह में मानव मंगल ग्रुप ऑफ स्कूल्स के निदेशक संजय सरदाना, मानव मंगल हाई स्कूल, सेक्टर-21 की ब्रांच डॉयरेक्टर अंजलि सरदाना, डॉ. जीसी मिश्रा मेमोरियल एजुकेशन एवं चैरिटेबल ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी मयंक मिश्रा भी मौजूद थे। मां सम्मान समारोह में मंच का संचालन उमा महाजन ने किया। ध्यान रहे कि डॉ. जीसी मिश्रा मेमोरियल एजुकेशन एवं चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से मानव मंगल स्मार्ट स्कूल के साथ करीब 12 सालों से मदर्स डे पर सम्मान समारोह आयोजित किया जा रहा है। लेकिन, कोविड के कारण पिछले दो सालों से यह समारोह आयोजित नहीं हो सका। डॉ. मिश्रा पीयू से रिटायर हुए थे, उन्हीं की याद में उनके पुत्र मयंक मिश्रा ने इस ट्रस्ट का गठन किया गया।
इन्हें मिला सम्मान
मां सम्मान समारोह में सम्मानित हुईं उत्तर प्रदेश के जिला गाजीपुर के गांव खातिरपुर की हेमवंती देवी ने पति की मौत के बाद बेटे को आगे बढ़ाने के लिए घर में ही छोटी सी दुकान खोली थी। उनके बेटे ने आईआईटी खड़गपुर से एमटेक की और वहीं से पीएचडी कीऔर अब वह केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संगठन, चंडीगढ़ में वैज्ञानिक पद पर कार्यरत है। सम्मानित होने वालो में पंजाब के भदौड़ के विधायक लाभ सिंह की मां बलदेव कौर भी शामिल हैं। कौर सरकारी स्कूल में पिछले 22 सालों से बलदेव कौर सफाई कर्मी हैं। बड़ी कठिनाइयों और मुश्किलों के साथ उन्होंने अपने पुत्र लाभ को पढ़ाया लिखाया। जयपुर के एक गांव बालेसर की मूली देवी को भी समारोह में सम्मानित किया गया। उन्होंने अपने तीन बेटों और तीन बेटियों को पढ़ा-लिखाकर काबिल बनाया। उनके पति गांव में ही श्रमिक थे और मूली देवी भी पति का साथ देती थीं ताकि उनके बच्चों को वह दिन न देखने पड़ें जो कि उन्होंने देखे हैं। मूली देवी खुद अशिक्षित हैं। उनके इस संघर्ष का ही परिणाम रहा कि उनका एक बेटा डॉक्टर बन गया और वह चंडीगढ़ के पीजीआई के सर्जरी विभाग में असिसटेंट प्रोफेसर है। सम्मानित होने वाली एक अन्य मां जयपुर निवासी अल्का त्रिवेदी के पति के निधन के बाद घर की पूरी जिम्मेदारी उन पर आ गई। अल्का ने हिम्मत न हारते हुए खुद को मजबूत किया और बच्चों का मानसिक संबल बनीं। उन्होंने दोनों बेटों को पढ़ाया और साथ ही पति का बिजनेस संभालने के लिए भी प्रेरित करती रहीं। उनके इसी हौसले के कारण आज दोनों बेटों ने पिता के बिजनेस को पूरी तरह संभाल लिया है। दोनों बेटे सफल व्यवसायी हैं। पंचकूला के जयसिंहपुरा गांव की निवासी शारदा सैनी को भी सम्मानित किया गया। उन्होंने अपने बच्चों को उनकी मंजिल तक पहुंचाने के लिए बहुत संघर्ष किया। शारदा खुद एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं। उनकी बड़ी बेटी शिवजीत ने पंजाब यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने के बाद हरियाणा सिविल सेवा (एक्जीक्यूटिव) की परीक्षा पास की और आज वह एचसीएस अधिकारी हैं।